May 4, 2024, 11:00 PM IST

दुर्योधन के पैदा होते ही क्यों रोने लगे थे उल्लू और सियार?

Kuldeep Panwar

महाभारत के युद्ध में 18 दिन के अंदर ही करोड़ों योद्धाओं की मौत हो गई थी. इस सबसे भयानक युद्ध का जिम्मेदार दुर्योधन को माना जाता है.

माना जाता है कि दुर्योधन यदि द्रौपदी से बदला लेने के लिए भरी सभा में उसका चीरहरण कराने की कोशिश नहीं करता तो यह युद्ध नहीं होता.

दुर्योधन को महाभारत में राक्षसी प्रवृत्ति वाला इंसान बताया गया है, जिसके संकेत उसके जन्म के समय हुईं घटनाओं से ही मिल गए थे.

दुर्योधन की माता गांधारी थीं, जिन्हें सौ पुत्रों को जन्म देने का वरदान मिला हुआ था. दुर्योधन के पिता धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे.

गांधारी ने अपनी कोख से पैदा होने वाले पहले पुत्र का नाम दुर्योधन रखा था, लेकिन प्रकृति ने उस समय ही अपशकुन के संकेत दे दिए थे.

दावा किया जाता है कि दुर्योधन पैदा होते ही बोलने लगा था. दुर्योधन आम बच्चे की तरह रोने की बजाय गधे की तरह रेंकने लगा था.

दावा है कि दुर्योधन के जन्म के समय हस्तिनापुर राजमहल के आसपास गधे, सियार, गिद्ध और कौए रोने लगे थे. भयानक आंधी भी चलने लगी थी.

दावा है कि प्रकृति दुर्योधन के जन्म लेने से इतनी दुखी थी कि हर तरफ उल्लू शोर मचाने लगे, कई जगह आग लग गई और काले बादल छा गए.

दावा है कि राजा धृतराष्ट्र के सौतेले भाई और हस्तिनापुर के महामंत्री महात्मा विदुर प्रकृति के इस अपशकुनी संकेत को समझ गए थे.

महात्मा विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से कहा था कि आपका यह पुत्र अपशुकनी है, जो बाद में अपने कुल का नाश करने वाला साबित होगा.

दुर्योधन ने बाद में अपनी जिंदगी के दौरान सभी आशंकाओं को सही साबित भी किया था और कौरव कुल का नाश करने वाला साबित हुआ था.

DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि DNA Hindi नहीं करता है.