हनुमान जी ने अपनी लिखी रामायण समुद्र में क्यों फेंकी थी?
Ritu Singh
महर्षि वाल्मिकी ने संस्कृत में रामायण लिखी थी लेकिन क्या आपको पता है कि उससे पहले भगवान बजरंगबली ने रामायण लिख चुके थे.
बजरंगबली ने ये रामायण चट्टानों पर लिखी थी लेकिन बाद में इन पत्थरों को समुद्र में फेंक दिया था, क्यों चलिए जानें.
जब कैलाश पर्वत पर हनुमान जी ने घोर तप कर रहे थे तभी वह रोज अपने नाखूनों से शिलाओं पर श्री राम को याद करके चौपाईयां लिखा करते थे.
वहीं महर्षि वाल्मीकि ने भी रामायण लिखरहे थे और जब वह कैलाश पर्वत भगवान शिव को वो रामायण देने जा रहे तो उनकी नजर शिलाओं पर पड़ी.
हनुमान जी की हुई रामायण की चौपाईंया इतनी खूबसूरत थीं कि महर्षि आश्चर्यचकित हो उठे और उनको अपनी रामायण उसके आगे कमतर लगी.
महर्षि वाल्मीकि ने स्वीकारा कि हनुमान जी की रामायण के सामने उनकी रामायण का कोई स्थान नहीं है. हनुमान जी अपनी रामायण शिव शंभू को सौंपने ही वाले थे कि महर्षि वाल्मीकि के आंखो में आंसू देखकर वे रुक गए.
हनुमान जी ने सोचा कि वाल्मीकि जी एक महान कवि हैं उनकी रामायण सरल संस्कृत में लिखी गई है. रामायण से समाज का कल्याण तभी संभव है जब वे लोगों को समझ आए और इसका अनुवाद सरलता से किया जा सके.
महर्षि वाल्मीकि के करुण भाव को देखते हुए हनुमान जी ने अपनी रामायण को समुद्र में फेंक दी.