Oct 20, 2024, 06:35 PM IST
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण जब पंचवटी से माता सीता को हरण कर लंका ले गया तो वहां माता सीता को कुल 435 दिन कैद में रहना पड़ा था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जितने दिनों तक माता सीता लंका में रहीं उतने दिनों तक उन्होंने कुछ खाया पिया नहीं, वहां उन्हें भूख-प्यास नहीं लगती थी.
इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है, कथा के अनुसार माता सीता को लंका में भूख-प्यास न लगे इसमें देवराज इंद्र ने उनकी मदद की थी.
जब माता सीता लंका में थीं, तब भगवान ब्रह्मा के कहने पर देवराज इंद्र ने सभी राक्षसों को मोहित कर के सुला कर राक्षसों का पहरा हटा दिया.
इसके बाद देवी सीता को एक दिव्य खीर दी, जिसके सेवन के बाद उन्हें कभी भूख और प्यास नहीं लगी और लंका में उन्होंने रावण का एक अन्य नहीं खाया.
इस दिव्य खीर को पायसम कहा जाता था, जो अमृत के बराबर था.. देवाता भी इसका सेवन नहीं कर सकते थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिव्य खीर में दस हजार वर्षों तक भूख मिटाने की शक्ति होती थी और इससे शरीर निरोगी रहता था.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.