Aug 30, 2024, 06:49 AM IST

हिंदू धर्म में कितने तरीके से होता है विवाह

Kuldeep Panwar

हिंदू धर्म में जन्म से मृत्यु तक होने वाले संस्कारों की बेहद अहमियत है. इनमें विवाह भी एक संस्कार है, जिसे सबसे अहम और खूबसूरत माना जाता है.

भले ही आप केवल लव मैरिज-अरेंज मैरिज ही जानते हैं, लेकिन हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में 14वें संस्कार विवाह को 8 प्रकार का माना गया है.

हिंदू धर्म में जो 8 प्रकार के विवाह माने गए हैं, उनमें ब्रह्म विवाह को सर्वश्रेष्ठ और पैशाचिक विवाह को सबसे निम्न दर्जे का बताया गया है.

ब्रह्म विवाह वैदिक रीति-नियमों से वर-वधू पक्षों की सहमति से होता है, जिसमें कुल, गोत्र, कुंडली मिलान समेत तमाम परंपराएं निभाई जाती हैं.

आर्ष विवाह को शास्त्रों में ऋषियों से जुड़ा बताया गया है, जिसमें ऋषि कन्या के पिता को गाय, बैल या उनका जोड़ा देकर विवाह करता है.

प्रजापत्य विवाह में एक विशेष पूजा के बाद विवाह संस्कार होते हैं. कन्या के पिता नवदंपति को गृहस्थ जीवन का पालन करने का आदेश देते हैं.

देव विवाह का आयोजन खास सेवा, धार्मिक उद्देश्य से किसी विशेष वर से कन्या की सहमति से उसका विवाह कराया जाता है. 

असुर विवाह में कन्या के परिजनों को धन देकर वर पक्ष उसे खरीदता है और उसके बाद सहमति पूछे बिना उससे विवाह किया जाता है.

गांधर्व विवाह लव मैरिज का ही एक रूप है. इसमें भी प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे के गले में फूलमाला डालकर शादी की इच्छा जताते हैं. 

राक्षस विवाह में कन्या की इच्छा के खिलाफ अपहरण या जबरदस्ती से उसके साथ विवाह किया जाता है. इसे निकृष्ट स्तर का माना गया है.

पैशाचिक विवाह सबसे निम्न कोटि का होता है. इसमें कन्या की सहमति बिना, धोखे से या बेहोश कर उससे दुष्कर्म के बाद विवाह किया जाता है.