महाभारत में भी हनुमान जी ने दिखाया था पांडव और कौरवों को ये 5 पराक्रम
Ritu Singh
महाभारत काल में भी हनुमान जी ने कई बार अपने सहास का परिचय दिया था.
बजरंबली महाभारत युद्ध के दौरान भी मैदान में पांडवों के साथ अदृश्य रूप में मौजूद थे.
कौरवों के विरुद्ध ही नहीं, कई बार बजरंगबली ने पांडवों को भी अपने पराक्रम से उनका घमंड तोड़ा था.
कौन से थे वो 5 पराक्रम जिसे हनुमानजी ने महाभारत काल में दिखाया था, चलिए जानें.
महाभारत काल में पौंड्रक एक निरंकुश राजा की तरह था जो खुद को भगवान मानने लगा था और अन्याय और अधर्म कर रहा था.
तब हनुमान जी कृष्ण के दूत वानर द्वीत बनकर पौंड्रक की नगरी गए और उसकी नगरी को लंका की तरह उजाड़ आए थे.
बाद में बलराम और कृष्ण ने पौंड्रक का वध किया था,
एक बार भीम गंधमादन पर्वत के उस कमल सरोवार के पास पहुंचे जहां हनुमानजी रास्ते में लेटे थे. भीम ने उन्हें वहां
से हटने का कहा.
तब हनुमानजी ने कहा कि वह पूंछ हटाकर अपना मार्ग बना ले. लेकिन भीम उनकी पूंछ हिला भी नहीं पाए तो समझ गए वह पवनपुत्र हैं.
एक बार अर्जुन को नदी पार करने के लिए धनुर्विद्या से बाणों का एक सेतु बनाया और रथ सहित नदी पार कर लिया. नदी से उसे पर उसकी हनुमानजी से भेंट हुई
अर्जनु ने हनुमाजी से कहा कि भगवान राम बड़े धनुर्धारि थे तो उनकी तरह बाणों से ही पुल बना लेते.
तब हनुमामनजी ने कहा कि उसे काल में शक्तिशाली वानर थे. यह बाणों का सेतु उनके भार से ढह जाता और सेतू पर जैसे ही एक पैर बजरंबली ने रखा सेतू टूट गया.
बलराम ने जब वानर द्वीत को एक ही मुक्के से मार दिया था तो उनको घमंड आ गया. तब श्रीकृष्ण के आदेश पर हनुमानजी द्वारिका की वाटिका में घुस गए और उत्पात मचाने लगे.
तब बलराम वहां पहुंचे और हनुमानजी से गदा युद्ध करने लगे और युद्ध में बलराम थक गए तब श्रीकृष्ण और रुक्मिणी ने बताया की सामने हनुमान जी हैं.
श्रीकृष्ण के ही आदेश पर हनुमानजी कुरुक्षेत्र के युद्ध में सूक्ष्म रूप में उनके रथ पर सवार हो गए थे.
यही कारण था कि भीष्म और बाद में कर्ण के प्रहार से उनका रथ सुरक्षित था.