Dec 8, 2023, 02:29 PM IST
जटायु से भी ज्यादा शक्तिशाली और साहसी था उसका बड़ा भाई संपाती
Anurag Anveshi
रामचरितमानस में पशु-पक्षी और मनुष्यों का आपसी सहयोग अनुपम है. देवपक्षी गरुड़ ने ही राम को नागपाश से मुक्त कराया था.
रामचरितमानस में जटायु के साहस की विस्तार से चर्चा है. मां सीता को बचाने के लिए रावण से उसका युद्ध हम सारे लोग जानते हैं.
मर्यादापुरुषोत्तम राम को मां सीता का पता जटायु ही बताता है, जो रावण से युद्ध करते हुए घायल होकर समुद्र तट पर पड़ा था.
इसी बलिदान के कारण जटायु की विशाल प्रतिमा केरल के कोल्लम स्थित चदयामंगलम में बनी है. इसे जटायु नेचर पार्क भी कहते हैं.
70 फिट ऊंची जटायु की यह मूर्ति कोल्लम के पहाड़ पर बनवाई गई है. इस मूर्ति की लंबाई 200 फिट है और चौड़ाई 150 फिट
जटायु के बड़े भाई का नाम संपाती था. बचपन में दोनों ने सूरज को छू लेने की होड़ लगाई और फिर उड़ चले ऊंचे और ऊंचे.
सूर्य के करीब पहुंचने पर जटायु जब झुलसने लगा तो संपाती ने अपने डैने के भीतर उसे छुपा लिया और फिर दोनों भाई आगे बढ़ते रहे.
बाद में जटायु तो लौट गया पर संपाती आगे बढ़ता रहा. सूर्य के करीब पहुंचते ही उसके डैने झुलस गए और वह उस ऊंचाई से गिर पड़ा.
जटायु की चर्चा इतनी है कि उसकी प्रतिमा आंध्र प्रदेश के लेपक्षी में भी बनी है, इसे जटायु पार्क कहते हैं. पर संपाती अब भी कम चर्चित है.
हालांकि एक चर्चा संपाती की तब भी है जब जटायु से संकेत मिलने के बाद जब जामवंत, अंगद और हनुमान मां सीता की तलाश में जा रहे थे.
रास्ते में जामवंत, अंगद और हनुमान की मुलाकात संपाती से हुई, तो उसने ही रावण के हाथों सीता के अपहरण की पुष्टि की.
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