Dec 21, 2023, 01:04 PM IST

भारत के इन मंदिरों में पुरुषों की एंट्री है बैन, महिलाओं को मिलता है प्रवेश

Nitin Sharma

हमारे देश में जिस तरह कुछ मंदिरों में महिलाओं की एंट्री बैन है. ठीक वैसे ही कई मंदिर ऐसे भी हैं, जहां पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है.

मंदिर में पुजारी भी महिलाएं ही होती हैं. कुछ मंदिरों में तो पुरुषों की छाया तक नहीं पड़ने दी जाती.

असम के गुवाहटी में स्थित कामाख्या मंदिर में कामख्या शक्तिपीठ का स्थान से सबसे ऊपर है. माता के महावारी के दिनों में यहां बड़ा मेला लगता है. इस दौरान यहां पर पुरुषों की एंट्री बैन कर दी जाती है. इतना ही नहीं यहां पुजारी भी महिला होती है. इस मंदिर में मादा पशुओं की बलि तक नहीं दी जाती.

राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा देव का मंदिर है. यह देश में इकलौता ब्रह्मा भगवार का मंदिर है. यहां पुरुषों की एंट्री बिल्कुल बैन है. इसकी वजह माता देवी सरस्वती का श्राप है. इसकी वजह से यहां शादीशुदा पुरुष नहीं जा सकता है. इसलिए पुरुषों को भगवान के दर्शनों के लिए आंगन तक जाने की अनुमति है. जबकि शादीशुदा महिलाएं अंदर तक जाकर पूजन कर सकती हैं.

कन्याकुमारी में स्थित माता भगवती देवी मंदिर में मां भगवती की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए महिलाएं यहां तपस्या करने आती है. यहां शादीशुदा पुरुषों को एंट्री नहीं जाती है. मंदिर परिसर में पूजा करने के लिए सिर्फ महिलाएं ही आ सकती हैं.

केरल के अट्टुकल मंदिर में भद्रकाली की पूजा की जाती है. यहां पोंगल उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें कीरब 30 लाख से भी ज्यादा महिलाएं शामिल होती हैं. भद्रकाली माता उम्र के 10 मिनट तक इसमें निवास करती हैं. इस दौरान पुरुषों की एंट्री बैन कर दी जाती है.

केरल में मां दुर्गा का चक्कुलाथुकावु मंदिर स्थित है. यहां पोंगल के दौरान नारी पूजा की जाती है. यह पूजा 10 दिनों तक चलजी है. इस दौरान यहां पुरुषों की परछाई भी पड़ने नहीं दी जाती है. सभी काम महिलाएं करती हैं और पुरुषों को मंदिर से दूर रखा जाता है.

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक देवी का मंदिर हैं. जहां पर पुरुषों को एक सीमित समय तक एंट्री दी जाती है. इसके बाद पुरुषों की एंट्री बंद कर दी जाती है. इस दौरान पुजारी भी महिलाएं होती हैं.