Jul 26, 2024, 11:51 AM IST

PhD के बाद रामभद्राचार्य ने क्यों ठुकरा दिया नौकरी का ऑफर

Nitin Sharma

तुलसीपीठ के संस्थापक धर्मचक्रवर्ती पद्मविभूषण जगद्गुरु ​रामभद्राचार्य जी महाराज देश के जाने माने संतों में से एक हैं. 

जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट के रहने वाले हैं. उनका असली नाम गिरधर मिश्रा है. इनका जन्म यूपी के जौनपुर जिले में हुआ था. 

चित्रकूट में तुलसीपीठ एवं जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं. वह आजीवन कुलाधिपति हैं. 

रामभद्राचार्य के आंखों की रोशनी मात्र 2 माह की उम्र में चली गई थी. 

आंखों की रोशनी न होने के बाद भी रामभद्राचार्य ने मास्टर डिग्री से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई की. वह भारत के पहले जीआरएफ हैं. उनके पास 22 डिग्री हैं. 

रामभद्राचार्य ने आंखों की रोशनी न होने के बाद भी बिना ब्रेल सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई की. 

रामभद्राचार्य ने इतनी पढ़ाई लिखाई के बाद भी नौकरी नहीं की. उन्हें यूजीसी का अध्यक्ष बनाने का ऑफर मिला.

राभद्राचार्य जी कहते हैं कि यह ऑफर मैंने ठुकरा दिया और कहा कि मुझे नौकरी नहीं चाहिए. 

रामभद्राचार्य कहते हैं कि मुझे दीनहीनों ​विकलांगों की सेवा करनी है. इसलिए मैंने जीवन भर नौकरी न करने फैसला लिया.