May 12, 2024, 09:50 PM IST
महाभारत में दुर्योधन की तरफ से लड़ा था भगवान राम का ये वंशज
Kuldeep Panwar
महाभारत का युद्ध दुनिया का सबसे भयंकर युद्ध माना जाता है, जिसमें महज 18 दिन के अंदर ही नामी योद्धाओं समेत करोड़ों लोग मारे गए थे.
महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच था, लेकिन इस युद्ध में दुनिया भर के राजाओं ने किसी एक पक्ष की तरफ से हिस्सेदारी की थी.
महाभारत यूं तो हस्तिनापुर की राजगद्दी के लिए था, लेकिन जुए में धोखे से राजपाट छिनने से पांडवों को धर्म पक्ष और कौरवों को अधर्म पक्ष कहा गया.
दुर्योधन ने दुनिया भर के नामी योद्धाओं को युक्तियों और समझौतों के दम पर महाभारत के युद्ध में कौरव पक्ष की तरफ से लड़ने को राजी किया था.
कौरवों की तरफ से लड़ने वालों में अयोध्या के तत्कालीन राजा बृहद्वल भी थे, जिन्हें बेहद वीर, पराक्रमी और धर्म की राह पर चलने वाला मानते हैं.
बृहद्वल भगवान श्रीराम के वंशज थे, जो उनके पुत्र कुश की 32वीं पीढ़ी में जन्मे थे. कुछ इतिहासकार उनके 44वीं पीढ़ी होने का दावा भी करते हैं.
धर्म परायण राजा होने के बावजूद बृहद्वल पांडवों के इंद्रप्रस्थ में राज्य बसाने के बाद युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ करने के कारण उनसे नाराज थे.
दरअसल राजसूय यज्ञ में छोड़े घोड़े की आधीनता सभी राजाओं को स्वीकार करनी पड़ती है. विरोध करने पर घोड़े के स्वामी से युद्ध करना पड़ता है.
युधिष्ठिर के घोड़े ने जब अयोध्या में प्रवेश किया तो उसके साथ महाबली भीम थे, जिन्होंने राजा बृहद्वल और उनकी सेना को हरा दिया था.
बृहद्वल इस अपमान का बदला लेने के लिए ही कौरव खेमे से लड़ने उतरे थे, लेकिन श्रीकृष्ण के समझाने पर वे पूरी ताकत से युद्ध नहीं लड़े थे.
युद्ध के 13वें दिन अर्जुन के बेटे अभिमन्यु ने कौरवों का चक्रव्यूह तोड़ते समय बृहद्वल का वध किया था, जो दूसरे द्वार के रक्षक के तौर पर तैनात थे.
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