भगवान शिव को समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पीकर धरती को बचाने वाला देवता माना जाता है, जिसे उन्होंने अपने गले में ही रोक रखा है.
कहते हैं कि शिव का गला इस विष से नीला पड़ने से कारण उन्हें नीलकंठ कहते हैं. इस विष के कारण ही शिव के गले में लिपटा रहने वाला सांप दुनिया में सबसे ज्यादा जहरीला है.
शिव के गले में लिपटा रहने वाला ये सांप नागों के राजा वासुकी हैं, जो किंग कोबरा की सबसे जहरीली और खतरनाक नस्ल के माने जाते हैं.
नाग यानी किंग कोबरा की यह प्रजाति भारत के हिमालयी इलाके में मिलती है. हालांकि दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक नाग की यह प्रजाति पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में पाई जाती है.
वासुकी की नस्ल वाले नाग की पहचान उसके शरीर पर काली-सफेद चित्तियां होती हैं और पीलेपन वाली गाढ़े भूरे रंग की स्किन होती है. हालांकि कई जगह ये प्रकृति में छिपने के लिए गहरे ग्रे या काले रंग के भी होते हैं.
नाग की सबसे खास पहचान जमीन से काफी ऊपर उठाकर चौड़ा फैला हुआ फन होता है. यह फन वे गुस्सा होने या रीझने पर फैलाते हैं.
किंग कोबरा नाग 3 से 4 मीटर लंबाई तक का हो सकता है. इस बेहद जहरीले नाग का औसत वजन 6 किलोग्राम तक हो सकता है.
शिव के गले का सांप होने के कारण ही भारत के अधिकतर हिस्सों में किंग कोबरा को मारना हत्या जैसा माना जाता है और उनकी पूजा होती है.
सरकार ने भी किंग कोबरा समेत सभी नागों को संरक्षित सूची में रखा है और वन्य जीव संरक्षण कानून के तहत इन्हें मारने पर 6 साल तक की कैद हो सकती है.
नाग को जमीन पर रहने वाला सांप माना जाता है, लेकिन यह तेजी से पेड़ों पर चढ़ने के अलावा पानी में भी कुशल तैराक की तरह तैर सकता है.
मादा किंग कोबरा सूखे पत्तों के घोंसले में एक बार में 12 से 22 अंडे देती है. करीब दो महीने बाद अंडे से 8 से 10 इंच लंबे संपोले निकलते हैं, जो विकसित नाग से भी ज्यादा जहरीले होते हैं.