पांडवों की मां पति की मृत्यु के साथ ही हो गई थी सती
Aman Maheshwari
महाभारत के कई सारे अनसुने किस्से हैं जिनके बारे में जानना लोग काफी पसंद करते हैं. पांडवों की माता के बारे में भी एक ऐसी ही कहानी हैं.
पांडवों के पिता का नाम पाण्डु था उनकी दो पत्नियां थी. एक का नाम कुंती और दूसरी का नाम माद्री था. माद्री अपने पति की मृत्यु के बाद उनके साथ सती हो गई थीं.
पाण्डु के पांचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन कुंती के पुत्र थे और नकुल सहदेव माद्री के पुत्र थे. उन्हें पुत्रों की प्राप्ति देवों का आह्वान करने से हुई थी.
उन्होंने एक बार आखेट के दौरान गलती से ऋषि किंदम को बाण मार दिया था. उस समय वह अपनी पत्नी के साथ संबंध बना रहे थे.
तब ऋषि किंदम ने पाण्डु को श्राप दिया कि, तुम्हारी जान भी मेरी तरह जाएगी. तुम किसी स्त्री के साथ सहवास करोगो तो प्राण चले जाएंगे.
उन्होंने कभी भी अपनी पत्नियों के साथ संबंध नहीं बनाए. लेकिन एक बार वह माद्री को देख कामुक हो गए और संबंध बनाने लगे.
माद्री के साथ संबंध बनाते समय उनकी मृत्यु हो गई थी. तब माद्री ने खुद को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और प्राण त्याग कर दिए.
प्राण त्याग के लिए उन्हें कुंती ने मना भी किया था लेकिन माद्री ने देहत्याग कर दिया इसके बाद उनके दोनों पुत्रों नकुल और सहदेव का लालन पालन भी कुंती ने किया था.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.