Jul 10, 2024, 03:54 PM IST

मांस खाने को लेकर महाभारत में कही गई है ये बातें

Aman Maheshwari

महाभारत में मांस का भोजन करने वालों के बारे में काफी कुछ बताया गया है. महाभारत में मांस खाने वालों की घोर निंदा की गई है.

स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुमिच्छति, नाति क्षुद्रतरस्तस्मात्स नृशंसतरो नरः

इस श्लोक का अर्थ है कि, जो दूसरों का मांस खाता है वह नीच और निर्दयी होता है. दूसरों का मांस खाकर अपना मांस बढ़ाना घोर पाप है.

ददाति यजते चापि तपस्वी च भवत्यपि, मधुमांसनिवृत्येति प्राह चैवं बृहस्पतिः

जो व्यक्ति मांस और मदिरा को त्याग कर देता है उसे दान, यज्ञ और तप का लाभ मिलता है. मांस का त्याग करने से इन तीनों का लाभ मिलता है.

न हि मांसं तृणात् काष्ठादुपलाद् वापि जायते, हत्वा जन्तुं ततो मांसं तस्माद् दोषस्तु भक्षणे

मांस किसी पेड़, पत्थर या लकड़ी से पैदा नहीं होता है. यह प्राणी की हत्या करके मिलता है. इसे खाना महादोष होता है. मांस नहीं खाना चाहिए.

मांस खाने वाला व्यक्ति महापापी होता है. मांस खाने वाले का पक्ष लेना भी दोष का भागी होता है. ऐसे लोग नरक भोगते हैं.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.