Jun 4, 2024, 03:09 PM IST

इस जगह पर रखा है कर्ण का कवच और कुंडल, अगर पहुंच गए तो लौट नहीं पाएंगे वापस

Saubhagya Gupta

 सूर्य पुत्र कर्ण शक्तिशाली योद्धा थे. उनसे जुड़े कई किस्से और कहानियां ऐसी हैं जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो. 

हस्तिनापुर में मौजूद कर्ण मंदिर द्वापर युग का साक्षी है. यह वही जगह है, जहां इंद्र को कर्ण ने कवच और कुंडल दान किए थे.

कहा जाता है कि कर्ण के सुरक्षा कवच उनके कानों के कुंडल और कवच थे. इंद्र देव ने उनसे यही दान मांग लिया था.

माना जाता है कि कर्ण का कवच और कुण्डल छत्तीसगढ़ के बीजापुर में स्थित एक रहस्यमयी गुफा के अंदर मौजूद है.

कहा जाता है कि इंद्रदेव ने जब सूर्यपुत्र कर्ण से छलपूर्वक उनका कवच और कुंडल लिया तो सूर्यदेव नाराज हो गए. 

नाराज होकर सूर्यदेव ने इंद्रदेव को श्राप दे दिया जिसके कारण इंद्रदेव कवच और कुण्डल अपने साथ स्वर्गलोक नहीं ले जा सके.

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहने वाले लोगों का कहना है श्राप के कारण इंद्रदेव का रथ इसी गुफा के पास धंस गया था, जिसके पहिये के निशान आज भी मौजूद हैं.

 इंद्रदेव ने कवच और कुण्डल को छत्तीसगढ़ में बीजापुर की एक गुफा में छुपा दिया था, जंहा पर जाना खतरे से खाली नहीं है.

इस गुफा से आज भी पीली रंग की रौशनी निकलती है जिसे कर्ण के कवच और कुण्डल की रौशनी माना जाता है.

कोई बताता है कि कर्ण का कवच और कुंडल हिमालय में स्थित किसी गुफा में मौजूद है तो कोई कहता है कि उड़ीसा में स्थित कोर्णाक मंदिर में है.