Sep 1, 2024, 08:39 PM IST

कौन थे सात्यकि जो साये की तरह रहते थे कृष्ण के साथ

Smita Mugdha

महाभारत में कई किरदार ऐसे रहे हैं जिनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही थी, लेकिन उनकी चर्चा कम होती है. 

ऐसा ही एक किरदार सात्यकि का है जिसके बारे में बहुत कम चर्चा होती है, लेकिन वह एक महत्वपूर्ण किरदार है. 

सात्यकि द्वारिका में श्रीकृष्ण की सेना के एक अधिकारी सत्यक के पुत्र थे और इसी आधार पर उन्हें यह नाम दिया गया था.

सात्यकि के गुरु अर्जुन थे, क्योंकि उन्होंने उनसे ही धनुर्विद्या सीखी थी और इसी रिश्ते को निभाने के लिए महाभारत में वह कौरवों की ओर से नहीं लड़े थे. 

श्रीकृष्ण की पूरी सेना ने कौरवों की तरफ से युद्ध किया था, लेकिन गुरु अर्जुन के खिलाफ युद्ध नहीं करने की प्रार्थना को श्रीकृष्ण ने स्वीकार किया था.

श्रीकृष्ण ने इस रिश्ते को समझते हुए सात्यकि को पांडवों की ओर से युद्ध की अनुमति दी थी.

सात्यकि युद्ध कला में पारंगत थे और अच्छे धनुर्धर भी थे. महाभारत के युद्ध में उन्होंने  कृतवर्मा का वध किया था. 

युद्ध कौशल का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि सात्यकि ने कर्ण को भी हराया था. 

महाभारत युद्ध से पूर्व जब कृष्ण हस्तिनापुर शांति संदेश लेकर आए थे, तो उस वक्त उनके साथ केवल सात्यकि ही आये थे.