Oct 19, 2024, 02:58 PM IST
हनुमान जी के 3 बाल से बची थी भीम की जान
Kuldeep Panwar
राम भक्त हनुमान जी से जुड़ी किसी भी कथा का जिक्र हम रामायण से जोड़ने लगते हैं, लेकिन उनकी महाभारत में भी अहम भूमिका थी.
हनुमान ने महाभारत में महाबली भीम का अहंकार तोड़ने के साथ ही अपने महज तीन बाल से उनकी रक्षा भी की थी. यही कथा हम बता रहे हैं.
महाभारत के मुताबिक, 10 हजार हाथियों के बल से भीम में अहंकार आ गया था, तब श्रीकृष्ण ने हनुमान जी से उनका घमंड तोड़ने को कहा था.
हनुमान वन में वृद्ध वानर बनकर राह में पूंछ बिछाकर लेट गए. भीम ने पूंछ हटाने के लिए कहा तो उन्होंने भीम से ही हटा देने को कह दिया.
भीम ने पूरा दम लगाया, पर वो पूंछ नहीं उठा सके, तब उन्हें समझ आया कि सामने कोई देवता है. भीम ने क्षमा मांगते हुए उनसे सही परिचय पूछा.
हनुमान ने तब असली रूप में दर्शन देते हुए भीम को आशीर्वाद दिया और उन्हें अपने शरीर के तीन बाल तोड़कर रखने के लिए दिए.
भीम ने तीनों बाल सुरक्षित रखते हुए कहा कि मैं जानता हूं आपकी इस भेंट से कोई रहस्य जरूर जुड़ा है, तभी आपने इन्हें मुझे दिया है.
इसके बाद जब युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ करना चाहा तो नारद मुनि ने उन्हें यह यज्ञ भगवान शिव के परम भक्त ऋषि पुरुष मृगा से कराने को कहा.
नारद ने कहा, ऊपर का आधा हिस्सा पुरुष और नीचे का आधा हिस्सा हिरण का रखने वाले मृगा ऋषि किसी के भी करीब जाते ही भाग जाते हैं.
युधिष्ठिर ने मृगा ऋषि को लाने की जिम्मेदारी भीम को दी. भीम ने शिव स्तुति कर रहे मृगा ऋषि को उद्देश्य बताया और चलने का आग्रह किया.
मृगा ऋषि ने कहा कि यदि वे भीम से पहले हस्तिनापुर पहुंच गए तो यज्ञ करेंगे, लेकिन भीम को पकड़ते ही खा जाएंगे. भीम ने यह शर्त मान ली.
मृगा ऋषि यह सुनते ही हस्तिनापुर की तरफ तेजी से दौड़ने लगे. भीम भी उनके पीछे भागने लगे, लेकिन वे बहुत पीछे छूटते दिखाई दे रहे थे.
इसी दौरान भीम के कपड़ों से हनुमान जी का एक बाल नीचे गिरकर शिवलिंग में बदल गया. इससे मृगा ऋषि ठहरकर शिव स्तुति करने लगे.
भीम ने इसके बाद हनुमान जी के बाकी दोनों बाल भी ऐसे ही धरती पर गिराकर शिवलिंग में बदले और मृगा ऋषि से पहले हस्तिनापुर पहुंच गए.
भीम का एक पैर महल के अंदर और बाकी शरीर बाहर था. तभी मृगा ऋषि भी महल में पहुंच गए. अब उन्होंने भीम से शर्त पूरी करने के लिए कहा.
युधिष्ठिर ने हाथ जोड़कर कहा कि भीम का शरीर तो महल के अंदर था, लेकिन पैर बाहर रह गया. ऐसे में मृगा ऋषि चाहें तो पैर खा सकते हैं.
युधिष्ठिर की बात सुनकर मृगा ऋषि ने शर्त वापस ले ली और राजसूय यज्ञ पूरा कराया. इस तरह हनुमान के बालों ने भीम की रक्षा की थी.
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