पांडवों के 5 गांव, जिनके लिए हुई थी महाभारत, आज हैं ये नामी शहर
Kuldeep Panwar
महाभारत को दुनिया का सबसे भयंकर युद्ध माना जाता है, जिसमें महज 18 दिन के अंदर ही दोनों सेनाओं के करोड़ों योद्धा मारे गए थे.
क्या आप जानते हैं कि दुर्योधन की तमाम चालाकियों व फरेब के बावजूद यह महायुद्ध टल सकता था? मामूली सी शर्त पूरी करने से युद्ध कभी होता ही नहीं.
चलिए हम आपको उन 5 गांव की कहानी बताते हैं, जो आज की तारीख में नामी शहर बन चुके हैं, लेकिन इनके कारण महाभारत टल सकता था.
पांडवों ने कई साल तक दुर्योधन-शकुनि के जुए में फरेब के कारण जंगल में वनवास काटा था, लेकिन वापस लौटने पर उन्होंने अपना हक मांगा था.
पांडवों ने दुर्योधन के सामने युद्ध टालने के लिए एक प्रस्ताव रखा था, जिसे मान लेने पर महाभारत का युद्ध कभी होने की नौबत ही नहीं आती.
दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर मेरठ के हस्तिनापुर साम्राज्य की सीमाएं तब गांधार (मौजूदा अफगानिस्तान) से भी आगे तक फैला हुआ था.
पांडवों ने इतने विशाल साम्राज्य में से आधे हिस्से के बजाय महज 5 गांव मांगे थे ताकि उनके पास पिता पांडु की पैतृक संपत्ति का एक हिस्सा बना रहे.
पांडवों का यह प्रस्ताव लेकर श्रीकृष्ण हस्तिनापुर गए, जहां धृतराष्ट्र, भीष्म पितामह और महात्मा विदुर ने भी इस प्रस्ताव पर सहमति जता दी थी.
दुर्योधन ने 5 गांव देने से इंकार कर दिया और श्रीकृष्ण से कहा, युद्ध किए बिना मैं सुई की नोंक के बराबर भूमि भी पांडवों को नहीं दूंगा.
क्या आप जानते हैं कि पांडवों ने अपने प्रस्ताव में जो पांच गांव युद्ध ना करने की शर्त के बदले दुर्योधन से मांगे थे, उनके नाम क्या थे?
पांडवों की तरफ से मांगे गए गांव श्रीपत (इंद्रप्रस्थ), तिलप्रस्थ, व्याघ्रप्रस्थ, स्वर्णप्रस्थ और पांडुप्रस्थ थे, जिनमें से 4 आज की तारीख में नामी इलाके हैं.
पांडुप्रस्थ को आज का तारीख में हरियाणा के पानीपत शहर के तौर पर जाना जाता है, जिसकी हैंडलूम इंडस्ट्री पूरी दुनिया में मशहूर है.
पानीपत में ही वे तीन मशहूर लड़ाइयां हुई थीं, जिनमें पहली से भारत में मुगल सल्तनत की शुरुआत हुई थी और तीसरी में अहमदशाह अब्दाली से हारकर मराठों की ताकत खत्म हुई थी.
स्वर्णप्रस्थ महाभारत के बाद सोनप्रस्थ और फिर सोनीपत हो गया, जो आज हरियाणा में गुरुग्राम-फरीदाबाद के बाद सबसे बड़ा रियल एस्टेट हब है.
व्याघ्रप्रस्थ का अर्थ होता है बाघों के रहने की जगह. यह दिल्ली से सटे मौजूदा बागपत शहर का पौरोणिक नाम है, जो तेजी से डेवलप हो रहा है.
श्रीपत यानी इंद्रप्रस्थ, राजधानी दिल्ली में है, जिसे खांडवप्रस्थ जंगल को जलाने के बाद पांडवों ने मय दानव से मायावी महल बनवाकर अपनी राजधानी बनाया था.
तिलप्रस्थ मौजूदा समय में फरीदाबाद जिले का तिलपत कस्बा है. यमुना नदी के किनारे बसा ये कस्बा भी धीरे-धीरे विकसित हो रहा है.
कुछ दावे हैं कि पांचवां गांव इंद्रप्रस्थ नहीं वारणावर्त (मौजूदा समय में बागपत जिले का बरनावा गांव) था, जहां पांडवों को लाख के महल में जलाकर मारने की साजिश रची गई थी.