Nov 30, 2023, 09:01 AM IST
महाभारत में इस अप्सरा का श्राप अर्जुन के लिए बना वरदान
Nitin Sharma
माना जाता है कि पांच पांडवों में किसी न किसी देव का वास था. इन्हीं में से एक अर्जुन को देवराज इंद्र का धर्मपुत्र माना जाता था.
एक समय पर अर्जुन देवराज इंद्र के निमंत्रण पर देवलोक गए थे. यहां पर देवलोक नर्तका अप्सरा उर्वशी अर्जुन पर मोहित हो गई.
उर्वशी मन में प्रेमभाव लेकर उनके अर्जुन के कक्ष में पहुंच गई. वह अपना प्रेम भाव जताना चाहती थी.
जब तक अप्सरा कुछ बोल पाती अर्जुन ने उनका अभिवादन हाथ जोड़कर मां के स्वरूप में किया. इससे अप्सरा नाराज हो गई.
गुस्से में अप्सरा अर्जुन को श्राप दिया कि भविष्य में वह अपना जीवन किन्नर की तरह व्यतीत करेंगे. उनकी नपुंसकता के शिकार हो जाएंगे.
अप्सरा ने कहा कि सारा जीवन गीत संगीत और गायन पर ही आश्रित होगा. साथ ही पुरुषत्व खत्म जहो जाएगा.
अर्जुन इस श्राप को पाते ही देवराज इंद्र के पास पहुंच गये. देवराज इंद्र ने अप्सरा से श्राप कम करने का आग्रह किया.
अप्सरा ने अपने श्राप को एक साल के लिए कर दिया. यह 13वें वर्ष में शुरू हुआ.
अप्सरा का यह श्राप अर्जुन के अज्ञातवास में अपनी पहचान छिपाने के काम आया और उनके लिए वरदान साबित हुआ .
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