Aug 2, 2024, 02:50 PM IST
हम सभी भगवान की प्रार्थना करते हैं. उनसे सुख-समृद्धि और दुखों को दूर रखने का आशीर्वाद मांगते हैं, लेकिन महाभारत में माता कुंती ने इसे उलट किया था.
महाभारत में पांडवों की माता कुंती के जीवन में कई हैरान करने वाली घटनाएं दिखाई गई हैं, जिनमें से एक उनका प्रभु श्रीकृष्ण से मांगा गया अजब वरदान भी था.
माता कुंती रिश्ते में भगवान श्रीकृष्ण की बुआ लगती थीं, लेकिन वे उनकी बहुत बड़ी भक्त भी थीं. इसी कारण श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान मांगने को कहा था.
माता कुंती के इस वरदान का जिक्र महाभारत के उद्योग पर्व में किया गया है, जिसमें महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर के हस्तिनापुर का राजा बनने की जानकारी है.
युधिष्ठिर के राजगद्दी पर बैठने के बाद श्रीकृष्ण भी अपनी द्वारका नगरी लौटने लगते हैं. वे विदा लेने के लिए अपनी बुआ कुंती के पास जाते हैं.
श्रीकृष्ण कुंती से कहते हैं कि बुआ आज तक आपने मुझसे कुछ नहीं मांगा. मैं कुछ देना चाहता हूं. आप जो चाहे मुझसे वो मांग लीजिए.
श्रीकृष्ण से माता कुंती ने कहा कि यदि आप मुझे कुछ देना चाहते हैं तो दुख और विपत्ति दे दीजिए. श्रीकृष्ण ये सुनकर हैरान रह जाते हैं.
श्रीकृष्ण कुंती से इसका कारण पूछते हैं तो वे कहती हैं कि सुख के समय भगवान को भूल जाना व दुख में याद करना ही मानव स्वभाव है.
कुंती आगे कहती हैं कि मुझे भी आप (भगवान) केवल दुख और विपत्ति में ही याद आते हो, जबकि मैं जीवनभर आपकी भक्ति करना चाहती हूं.
इससे पता चलता है कि भले ही हस्तिनापुर की राजगद्दी के लिए कौरवों-पांडवों के बीच महाभारत जैसा भयानक युद्ध हुआ, लेकिन माता कुंती वैसी नहीं थीं.
कुंती ने कष्ट से बचकर कभी सुख, आराम और राज्य की कामना नहीं की थी और ना ही उनके व्यवहार में सत्ता लोलुपता नहीं थी.
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