Nov 12, 2024, 11:32 PM IST

ये थीं महाभारत में 7 सबसे रहस्यमयी महिलाएं

Kuldeep Panwar

महाभारत की बात चले तो द्रौपदी, सुभद्रा, कुंती, गांधारी और सत्यवती जैसी महिलाओं के ही नाम याद आते हैं, पर इनके अलावा भी कई महिलाएं थीं.

इन महिलाओं ने महाभारत में बेहद रहस्यमयी भूमिका निभाई थीं. इसके चलते इनका कम ही जिक्र आता है और कम लोग ही उन्हें जानते हैं.

इन महिलाओं की भूमिका भले ही रहस्यमयी रही, लेकिन महाभारत काल में इन्होंने कौरवों या पांडवों की तरफ से अहम काम किए थे.

भीम की पत्नी हिडिंबा ऐसी हीं एक महिला थीं. सभी जानते हैं कि वे राक्षस कुल की थीं, लेकिन इससे ज्यादा हिडिंबा के बारे में कोई नहीं जानता है.

हिडिंबा ने महाभारत के युद्ध में अपने पुत्र घटोत्कच को लड़ने भेजा था, जिन पर कर्ण को अर्जुन के लिए रखी अमोघ शक्ति चलानी पड़ी थी.

घटोत्कच की पत्नी मौरवी भी ऐसी ही रहस्यमयी महिलाओं में से एक थीं. अहिलावती व कामकंठिका नामों से भी प्रसिद्ध मौरवी तंत्र-मंत्र की ज्ञाता थीं.

मौरवी ने अपने पुत्र बर्बरीक को तंत्र-मंत्र वाले तीर दिए थे, जिनसे बर्बरीक अकेले एक तीर से ही पूरा महाभारत का युद्ध खत्म कर सकते थे. 

बर्बरीक हारने वाले पक्ष यानी कौरव पक्ष से लड़ते, इस कारण श्रीकृष्ण ने उनका सिर मांग लिया था. बर्बरीक ही आज बाबा खाटू श्याम के नाम से पूजे जाते हैं.

अर्जुन की पत्नी उलूपी नागराज वासुकी की बेटी थीं. अर्जुन जब अपने पुत्र बभ्रुवाहन के हाथों मारे गए थे तो उलूपी ने अपनी मणि से उन्हें जीवित किया था.

उलूपी के बेटे इरावन ने ही महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत के लिए काली के सामने बलिदान दिया था. उसे किन्नर अपना देवता मानते हैं.

अर्जुन की 4 पत्नियों में से मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा भी थीं. उनके पुत्र बभ्रुवाहन ने ही श्राप के चलते अपने पिता अर्जुन को मार दिया था. 

कौरवों की इकलौती बहन दु:शला को सभी पांडव भी बहन मानते थे. दु:शला का पति सिंधु देश का राजा जयद्रथ था, जो अर्जुन के हाथों मारा गया था.

पांडवों की माता कुंती के अलावा माद्री भी थी. कुंती ने युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन को जन्म दिया था तो माद्री ने नकुल-सहदेव को जन्म दिया था.

श्राप के कारण जब राजा पांडु की मौत माद्री के साथ संबंध बनाने के कारण हो गई थीं, तो माद्री भी उनके साथ ही चिता में सती हो गई थीं.

दुर्योधन की पत्नी भानुमती के बारे में बहुत कम लिखा गया है. इनके कारण ही 'कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा' कहावत शुरू हुई थी.

कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद भानुमती ने अर्जुन से विवाह किया था ताकि कौरव पुत्रों को पांडवों से कोई खतरा नहीं रहे.

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