भगवान राम ने अपने धनुष से और हनुमान जी ने अपनी गदा से बहुत सारे राक्षसों को मारा था. इनमें रावण, कुंभकर्ण, अहिरावण और खर-दूषण जैसे राक्षस शामिल थे.
भगवान राम का धनुष और हनुमान जी की गदा को बेहद खास माना जाता है. क्या आपको पता है कि इनके नाम क्या थे? चलिए हम आपको बताते हैं.
शास्त्रों के मुताबिक, भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था, जिसका अर्थ बांस का बना हुआ होता है. रावण वध करने वाला यह धनुष बेहद प्रसिद्ध है.
अपने धनुष के कारण ही भगवान राम को भी कोदंड कहकर पुकारा जाता था, जिसके बिना भगवान राम की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
शास्त्रों में दावा किया गया है कि भगवान राम का धनुष 5.5 हाथ लंबा था, जिससे निकलने वाला बाण हमेशा अपने लक्ष्य को सफलता से भेदता था.
कई पौरोणिक ग्रंथों में भगवान राम के धनुष कोदंड को देवताओं का धनुष भी कहा जाता था. यह नाम इसे अचूक लक्ष्य भेदन के कारण ही मिला था.
भगवान राम ने कोदंड धनुष के अचूक निशाने के कारण ही रावण की नाभि में मौजूद अमृत को तीर मारकर सुखाने में सफलता हासिल की थी.
राम के कोदंड धनुष के नाम पर एक मंदिर भी बनाया गया है. इस धनुष को राम के अलावा कोई अन्य योद्धा नहीं उठा सकता था.
भगवान राम के परम भक्त हनुमान के बिना रामायण की कल्पना भी नहीं की जा सकती, जिन्हें संकट मोचक कहकर भी पुकारा जाता है.
हनुमान जी सदैव अपने साथ गदा रखते थे, जो उनके भक्तों के संकट को दूर करती है. यह बेहद खास गदा हनुमान को धन के देवता कुबेर ने दी थी.
शास्त्रों के मुताबिक, कुबेर ने हनुमान को गदा देते हुए यह भी आशीर्वाद दिया था कि इसके रहते हुए उन्हें कोई भी पराजित नहीं कर पाएगा.
हनुमान जी की इस गदा का एक खास नाम भी था, जो शायद ही आपको पता होगा. चलिए हम बताते हैं. हनुमान की गदा का नाम कौमोदकी है.
शास्त्रों के मुताबिक, कौमोदकी गदा सदैव हनुमान के बाएं हाथ में रहकर शत्रुओं का संहार करती है. कहा भी गया है कि 'बायीं भुजा असुर संहारे, दाहिनी भुजा संतजन तारे'.
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