Jan 17, 2024, 03:28 PM IST

मेघनाद के तीर से मरे लक्ष्मण को जिंदा करने वाला कौन था

Kuldeep Panwar

रावण के सीता जी का हरण कर उन्हें लंका ले आने जैसा नीच काम करने के बावजूद भगवान राम ने आखिरी पल तक उसके साथ युद्ध टालने की कोशिश की थी.

भगवान राम के ये शब्द उस समय सही साबित होते दिखे थे, जब लंका युद्ध के दौरान रावण के बेटे मेघनाद उर्फ इंदरजीत के अमोघ शक्ति बाण से घायल होकर लक्ष्मण नीचे गिर पड़े.

लक्ष्मण को इस हालत में देखकर भगवान राम बेहद व्याकुल हो उठे. उन्होंने ये कहा कि वे अब अयोध्या क्या मुंह लेकर वापस लौटेंगे. माता को क्या मुंह दिखाएंगे.

भगवान राम का विलाप सुनकर हनुमान जामवंत के कहने पर लंका से एक वैद्य को युद्ध मैदान पर लाए थे, जिसने लक्ष्मण को दोबारा जीवनदान देने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी.

इस पल का जिक्र रामचरित मानस में भी है. 'जामवंत कह बैद सुषेना। लंका रहइ को पठई लेना।। धरि लघु रूप गयउ हनुमंता। आनेउ भवन समेत तुरंता।।'

यह शख्स थे सुषेन वैद्य, जिन्हें अपने समय का सबसे बड़ा चिकित्सक माना जाता था. वह वानरराज सुग्रीव के ससुर और रावण के राजवैद्य थे. हनुमान सुषेन वैद्य को उनके घर समेत लंका नगरी के अंदर से उठाकर ले आए थे.

सुषेन वैद्य ने लक्ष्मण की नब्ज जांचने के बाद उन्होंने उनकी जान बचाने का उपाय संजीवनी बूटी में बताया था, जो दूर हिमालय की चोटियों पर मिलती थी.

सुषेन वैद्य ने कहा कि इस अमोघ शक्ति के वार से सिर्फ संजीवनी बूटी ही लक्ष्मण के प्राण बचा सकती है. यह संजीवनी बूटी सूरज उगने से पहले लक्ष्मण को देने पर ही उनकी जान बचेगी.

इसके बाद ही श्रीराम से आज्ञा लेकर हनुमान उड़कर हिमालय पर्वत पहुंचे थे और वहां संजीवनी बूटी की पहचान नहीं होने पर पूरा पर्वत ही उखाड़कर श्रीलंका ले आए थे.

सुषेन वैद्य ने पहाड़ के ऊपर से संजीवनी बूटी तलाशकर उसकी खुराक लक्ष्मण को दी और बेहोश पड़े लक्ष्मण ने उठकर फिर से युद्ध के लिए तैयार हो गए थे.