Jun 12, 2024, 12:27 PM IST

1000 सिर वाले इस राक्षस का श्रीराम ने नहीं, माता सीता ने किया था वध

Nitin Sharma

रामायण में भगवान श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास पर गये थे. यहां उन्होंने कई बलशाली राक्षसों का अंत किया. 

इन्हीं राक्षसों में से एक रावण था. जिसका वध कर भगवान श्रीराम ने माता सीता को बचाया और उसके भाई विभीषण को लंका सौंपकर अयोध्या में राजकाज संभाला. 

लेकिन इसके बाद भी लंका का ही एक अंश और 1000 सिर वाला ऐसा राक्षस जीवित बचा था, जिसने श्रीराम की सेना को परास्त कर दिया. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण के वध के कुछ समय बाद ही विभीषण अयोध्या में भगवान श्रीराम के पास आया. उसने भगवान रक्षा की गुहार लगाई. 

विभीषण ने बताया कि कुंभकर्ण एक पुत्र मूलकासुर है, जिसका मूलनक्षत्र में जन्म होने की वजह से कुंभकर्ण ने उसे जंगल में फेंकवा दिया था. जंगल में उसका पालन पोषण मधुमक्खियों ने किया.

इसके बाद मूलकासुर ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की. उनसे वरदान पाकर मूलकासुर बेहद शक्तिशाली बन गया. वह कुंभकर्ण की मौत का बदला लेने के लिए लंका में पहुंच गया. उसने कहा कि पहले विभीषण को मारूंगा और फिर राम को. 

यह सुनते ही भगवान श्रीराम ने हनुमान जी और लक्ष्मण को लंका भेजा. यहां मूलकासुर से 7 दिनों तक युद्ध चला, जिसमें श्रीराम की सेना परास्त होने लगी. 

श्रीराम को भी मूलकासुर ने घायल कर दिया. तब ब्रह्मा ने बताया कि मूलकासुर को स्त्री के हाथों से ही मरने का वरदान प्राप्त है. 

इस पर माता सीता युद्ध के मैदान में पहुंची, जहां उन्होंने देखा कि मूलकासुर ने श्रीराम को घायल कर दिया है यह देखते ही माता क्रोध से भर गई. मां जानकी ने असिता यानी काली का रूप धारण कर लिया.

तब माता सीता ने 1000 सिर वाले मूलकासुर का वध कर दिया. भगवान श्रीराम ने जब माता को इस रूप में देखा तो देवी के स्वरूप की पूजा कर माता सीता का क्रोध शांत किया और माता सीता के रूप में आई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)