Jan 20, 2024, 08:26 PM IST

सीता के किस श्राप से उजड़ी थी राम की अयोध्या

Kuldeep Panwar

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का दिन नजदीक आ गया है. रामलला 550 साल बाद 22 जनवरी को फिर से मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने जा रहे हैं.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी से पूरे देश में उत्साह है, लेकिन अयोध्या वासी ये कह रहे हैं कि इस काम से शायद रूठी हुई सीता माता भी अयोध्या से फिर खुश हो गई हैं.

दरअसल हिंदू धर्म के सात सबसे पवित्र स्थानों में शामिल होने के बावजूद चार साल पहले तक अयोध्या एक उजाड़ और वीरान सा शहर हुआ करता था.

अयोध्या में विकास का पहिया नहीं घूमने के लिए स्थानीय लोग इसे सीता माता के श्राप से जोड़कर देखते थे, जो उनके वनवास जाने की कहानी से जुड़ा है.

स्थानीय किवदंती है कि लंका में रावण के वध करने के साथ ही वनवास खत्म कर भगवान राम और सीता माता के अयोध्या लौटने पर हर तरफ खुशी छा गई थी.

अयोध्या की खुशियां कुछ ही दिन बाद उस समय खत्म हो गई थीं, जब भगवान राम ने सीता माता का त्याग करते हुए उन्हें फिर से वनवास के लिए भेज दिया था.

भगवान राम ने सीता माता को त्यागने का फैसला अयोध्या के एक धोबी के तंज को सुनने के बाद लिया था, जिसने सीता माता के पराये मर्द (रावण) के पास रहने को लेकर तंज कसा था.

राम ने सीता माता को बिना बताए लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए भेज दिया था. वन में पहुंचने पर सीता माता को यह बात उनसे मालूम हुई थी.

मान्यता है कि सीता माता इस फैसले के लिए भगवान राम से नाराज नहीं हुई थी, बल्कि उन्होंने इसके लिए अयोध्या के निवासियों की सोच को जिम्मेदार माना था.

मान्यता है कि सीता माता ने इसके बाद अयोध्या को श्राप दिया था कि वह कभी भी खुशहाल नहीं रहेगी और हमेशा उजाड़ व उदास ही बनी रहेगी.

माना जाता है कि माता सीता के इसी श्राप के कारण महाभारत के युद्ध में रघुवंश के आखिरी राजा यानी भगवान राम के आखिरी वंशज राजा बृहद्बल की वीरगति के बाद अयोध्या उजड़ी ही रही थी.

अयोध्या के चारों तरफ भले ही तरक्की होती रही हो, लेकिन राम की यह नगरी हमेशा पिछड़ी ही दिखी. अब राम मंदिर निर्माण के बाद शुरू हुई तरक्की से यह श्राप मिटा हुआ लग रहा है.