Jan 12, 2024, 12:42 AM IST

सीता जी को क्यों दिया था तोते ने श्राप?

Kuldeep Panwar

भगवान राम को अपने पिता दशरथ के वचन के कारण 14 साल के वनवास का दुख उठाना पड़ा था. वनवास के कष्टों में उनके साथ माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी थे.

राजमहल में पलीं राजकुमारी सीता को जंगलों के कठोर जीवन के कष्टों के साथ ही वनवास के दौरान सबसे बड़ा दुख भी सहना पड़ा था. यह दुख था श्रीराम से अलग होने का.

रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के नाक-कान लक्ष्मण द्वारा काटने का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण कर लिया था और लंका लाकर अशोक वाटिका में कैद कर दिया था.

श्रीराम से वियोग का यह दुख सीता माता को एक श्राप के कारण उठाना पड़ा था. यह श्राप उन्हें एक तोते ने दिया था. आइए आपको इससे जुड़ी कथा बताते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा जनक ने अपने राज्य में बारिश के लिए मंत्रोच्चार के बीच खेत में हल चलाया था. इसी दौरान खेत में उन्हें माता सीता बच्ची के रूप में मिली थीं.

राजा जनक ने बच्ची को अपनी बेटी माना और उनका नाम सीता रखते हुए राजकुमारी के तरह लालन-पालन शुरू किया. सीता के पास नर-मादा तोते का एक जोड़ा था.

पौरोणिक कथा में दावा किया गया है कि तोते के इस जोड़े में से मादा तोता किसी कारण से मर गई थी, जिसके लिए नर तोते ने सीता माता को दोषी माना था.

अपनी मादा साथी को मरा हुआ देखकर नर तोता बेहद दुखी और क्रोधित हुआ. उसने उसी दुख में सीता माता को भी वियोग का दुख सहने का श्राप दे दिया.

नर तोते ने सीता माता को श्राप दिया कि जिस तरह उसे अपने साथी के बिछड़ने का कष्ट हुआ, उसी प्रकार सीता माता को भी वियोग (पति से अलग होने का कष्ट) का दुख सहना होगा.

पौरोणिक कथा के मुताबिक, इसी श्राप के कारण सीता माता को दो बार श्रीराम से वियोग का दुख सहना पड़ा. पहली बार उन्हें रावण अपहरण करके ले गया.

दूसरी बार माता सीता के साथ लंका से वापस लौटने के बाद श्रीराम ने एक धोबी के तंज को सुनकर उनका त्याग कर दिया था. गर्भवती होने के बावजूद सीता माता को श्रीराम से अलग होकर वन में रहना पड़ा था.