Jan 21, 2024, 12:10 AM IST

माता सीता से इजाजत लेकर ही बोते हैं यहां चना, राम विवाह से है नाता

Kuldeep Panwar

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है. यूं तो यह भगवान राम की नगरी है, लेकिन यहां की एक जगह पर माता सीता का ही हुक्म चलता है.

यह जगह है राम जन्मभूमि के करीब कनक महल, जिसका नाता राम-सीता को वनवास देने वाली माता कैकेयी से जुड़ा है. कैकेयी ने ही मुंहदिखाई में यह महल सीता माता को दिया था.

भगवान राम और माता सीता के इस निजी महल में आज भी सीता दरबार सजता है, जहां लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं. इनमें सबसे खास फरियाद है धनतेरस पर आने वाले 700 गांवों के किसानों की.

मनोरमा और सरयू नदी के बीच बसी बस्ती जिले की हर्रैया तहसील के 700 गांव माता सीता के क्रोध के कारण त्रेता युग से चने की खेती उनसे इजाजत लेकर ही करते हैं.

दरअसल रामायण और रामचरित मानस में बेहद कोमल मन वाली बताई गईं माता सीता इन गांवों की जमीन पर तब नाराज हो गई थीं, जब वे भगवान राम से विवाह कर जनकपुर से अयोध्या आ रही थीं.

मान्यता के मुताबिक, रास्ते में एक खेत में चने की फसल की खूंटियां माता सीता के पैरों में चुभ गई थी. नाराज माता सीता ने चने की फसल बोने पर अनिष्ट होने का श्राप दिया.

चने की खेती के लिए बेहद उपयुक्त जमीन होने पर 700 गांव के किसान इसकी फसल नहीं उगाते हैं. मान्यता है कि यदि कोई ऐसा करता है तो उसका नुकसान हो जाता है.

मान्यता यह भी है कि ग्रामीणों ने माता सीता से श्राप हटाने की गुहार लगाई तो उन्होंने धनतेरस के दिन चने की फसल बोने की इजाजत दी थी.

इन गांवों के किसान आज भी चने की फसल नहीं बोते हैं. यदि कोई यह फसल बोना चाहता है तो वह धनतेरस के दिन कनक भवन में सीता दरबार में हाजिरी लगाकर पहले इजाजत लेता है.