May 29, 2024, 12:21 PM IST
इन 2 पुण्य से द्रौपदी की बची थी इज्जत
Ritu Singh
महाभारत में जुए में द्रोपदी को हार चुके पांडवों से बदला लेने के लिए दुर्योधन ने द्रोपदी के चीरहरण का प्रयास कराया था, लेकिन
द्रौपदी के 2 पुण्य ने कुरुवंश की बहू का मान और सम्मान बनाए रखा और चीरहरण असफल रहा था.
असल में इस चीरहरण को भगवान कृष्ण ने रोका था और कृष्ण भी अपने ऊपर से एक कर्ज को इसी बहाने उतारे थे.
असल में द्रौपदी के दो पुण्य ऐसे थे जो वस्त्र से जुड़े थे और यही चीरहरण के दौरान उनकी लज्जा बचाए रखे थे.
द्रोपदी का पहला पुण्य था एक साधु को अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़ कर दिया था. असल में एक बार एक साधू गंगा स्ना कर रहे थे
स्नान करते समय साधु की लंगोट पानी में बह गई और साधु मारे शर्म के झाड़ी के नीचे छुप गए. तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी लगोट के बराबर फाड़ कर साधू को दी थी.
दूसरा पुण्य द्रौपदी ने तब कमाया था जब कृष्ण ने शिशुपाल को मारने के लिए सुदर्शन चक्र निकाला था और उससे उनकी उंगली कट गई थी.
तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली के घाव पर बांधी थी, तब कृष्ण ने भी कहा था एक दिन से साड़ी का वह कर्ज जरूर चुकाएंगे.
यही कर्ज कृष्ण ने भी चीरहरण के दौरान द्रौपदी की साड़ी को अंतहीन बना कर उतारा था.
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