रामायम में सीता माता के जुड़वा रूप का भी जिक्र है. पद्मपुराण के अनुसार रामयणकाल में एक नहीं, बल्की दो-दो सीता मां थीं.
एक असली सीता मां और दूसरी माया सीता मां थीं. वनवास काल में माया सीता का जन्म हुआ था क्योंकि भगवान राम ने सीता मां से कहा था कि वह अब नर लीला करेंगे इसलिए वह अपना मायावी रूप सामने ला कर असली रूप अग्नि देवता के पास ले जाएं.
भगवान राम ने देवी सीता से कहा था कि जब तक वह राक्षसों का वह नहीं करते तब तक वह माया रूप में उनके पास रहे और असली सीता सुरक्षित रूप में अग्निदेव ्के पास रहें.
जिसके बाद असली सीता मां अग्निदेव के पास चली गईं और माया सीता राम जी के पास आ गई और उसी दिन रावण में माता सीता के नकली रूप का हर कर लिया था
रावण ने जिस सीता का हरण किया था वह माया सीता थी और भगवान राम ने रावण का वध कर सीता संग अयोध्या लौटे थे उन्होंने माया सीता की जगह असली सीता माता को वापस बुलाने के लिए अग्नि में जाने को कहा था.
जबकि लोगों को ये लगा कि भगवान राम ने देवी सीता की अग्नि परीक्षा ली थी जबकि ऐसा नहीं था. अग्नि में माया सीता गईं और वापस असली सीता आईं थीं.
रामायण के पद्मपुराण में माया सीता और असली सीता के बारे में वर्णन है.