Jun 9, 2024, 01:35 PM IST

महाभारत युद्ध में ही कर्ण क्यों भूल गया था शस्त्र चलाने की सारी विद्या

Ritu Singh

सारथी पुत्र होने के नाते अधिरथ उसे रथ चलाना सिखाना चाहता था, लेकिन कर्ण एक धनुर्धर बनने के लिए उत्सुक था.

लेकिन उस समय, केवल क्षत्रिय, लड़ाकू वर्ग के सदस्य, ही युद्ध कला और हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के हकदार थे.

 क्षत्रिय न होने के कारण कर्ण को द्रोण समेत  किसी भी शिक्षक ने स्वीकार नहीं किया.

उस समय परशुराम इस धरती के सबसे कुशल योद्धाओं में से एक थे वे द्रोण के गुरु भी थे और भीष्म के भी लेकिन भीष्म से युद्ध के बाद...

परशुराम ने यह प्रण लिया था कि वह कभी क्षत्रियों को शिक्षा नहीं देंगे. इसलिए कर्ण ने परशुराम के पास जाने का फैसला किया.

कर्ण जानता था कि परशुराम केवल ब्राह्मणों को ही शिक्षा देंगे इसलिए सीखने की उत्सुकता में उसने नकली जनेऊ पहनकर परशुराम से शिक्षा की विनती की.

परशुराम ने उसे अपना शिष्य बना लिया और उसे वह सब कुछ सिखाया जो वह जानते थे.

एक दिन, जब वे जंगल में प्रशिक्षण ले रहे थे, तो उन्हें बहुत थकान और बेहोशी महसूस हुई उन्होंने कर्ण से कहा कि उन्हें लेटने की जरूरत है.

 परशुराम अपना सिर कर्ण की गोद में रख कर सो गए तभी एक खून चूसने वाला कीड़ा कर्ण की जांघ को चूसने लगा.

कर्ण दर्द सहता रहा और खून बह रहा था, लेकिन वह अपने गुरु की नींद में खलल नहीं डाला.धीरे-धीरे खून परशुराम के कान तक पहुंचने लगा तो वह जाग गए.

 परशुराम ने देखा कि कीड़ा कर्ण की जांघ की मांसपेशियों में गहराई तक काट रहा था और फिर भी कर्ण ने सहते रहा.

परशुराम तुरंत कर्ण से कहा कि तुम ब्राह्मण नहीं हो सकते. तुम जरूर क्षत्रिय हो. तब कर्ण ने कहा वह ब्राह्मण नहीं है, लेकिन क्षत्रिय भी नहीं है.

परशुराम  ने कहा तुमने उन्हें धोखा दिया है और ये कहते हुए श्राप दिया कि जिस वक्त तुम्हे युद्ध में सबसे ज्यादा अस्त्र-शस्त्र की जरूरत होगी तुम इसके इस्तेमाल का मंत्र भूल जाओगे.