Jul 30, 2024, 10:58 AM IST
22 जुलाई से पावन सावन मास की शुरुआत के साथ कांवड़ यात्रा भी प्रारंभ हो चुकी है. यह पावन महीना भगवान शिव को समर्पित है.
बता दें कि इस दौरान शिव भक्त गंगा नदी में स्नान-ध्यान कर कांवड़ में गंगाजल लाकर शिव मंदिर में महादेव का अभिषेक करते हैं.
कांवड़ यात्रा एक नहीं बल्कि चार प्रकार की होती है और अलग-अलग कांवड़ यात्रा के अलग-अलग नियम भी होते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में...
सामान्य कांवड़ यात्रा- इसमें भक्त बीच में रुककर आराम कर सकते हैं. इस दौरान कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना होता है. कांवड़ को केवल स्टैंड पर रखा जाता है.
डाक कांवड़- यह सबसे कठिन माना जाता है, इस यात्रा में भक्त आराम नहीं करते हैं, एक बार यात्रा शुरू करने के बाद बीच में किसी भी काम के लिए नहीं रुकते.
खड़ी कांवड़- इस यात्रा में भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं और उनकी मदद के लिए 2-3 लोग भी रहते हैं. ताकि जब एक थक जाए तो दूसरा कांवड़ लेकर चलता रहे.
दांडी कांवड़- यह यात्रा भी बेहद कठिन मानी जाती है. इस यात्रा में साधक पवित्र नदी से मंदिर तक दंड देते हुए पहुंचते हैं. इसलिए यात्रा में अधिक समय भी लगता है.
Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.