Jul 25, 2024, 04:17 PM IST
सिद्धों की नगरी वाराणसी में एक और सिद्ध हुए हैं, जिनका नाम बाबा कीनाराम था, बाबा कीनाराम के साथ अनेकों चमत्कार जुडे़ हैं.
बताया जाता है कि चंदौली जिले के रामगढ़ में रहने वाले एक रघुवंशी क्षत्रिय परिवार में बाबा कीनाराम का जन्म हुआ था.
बाबा कीनाराम बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, 12 साल की उम्र में ही उनका विवाह हो गया था पर गौने से पूर्व ही इनकी पत्नी का देहांत हो गया.
कहा जाता है विवाह हेतु परिवार के लोगों ने जब दबाव डाला तो बाबा कीनाराम ने घर छोड़ दिया, जिसके बाद वे प्रसिद्ध संत शिवराम के शिष्य बने.
बाबा कीनाराम को शैव धर्म के अघोरी संप्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है, इतना ही नहीं वह विवेकसार, रामगीता, रामरासल और उन्मुनिराम जैसी...
अपनी रचनाओं में अघोर के सिद्धांतों और प्रथाओं को संहिताबद्ध करने वाले पहले व्यक्ति थे. उन्हें भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि बाबा कीनाराम 150 वर्षों तक जीवित रहे थे. बाबा कीनाराम अघोर परंपरा को आगे बढ़ाने वाले स पहले अघोरी थे.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.