Aug 28, 2024, 09:02 AM IST

पूर्वजन्म में कौन था महाभारत का योद्धा कर्ण, क्यों सहना पड़ा अपमान

Nitin Sharma

महाभारत में जब भी महान योद्धाओं की बात की जाती है तो कर्ण का नाम जरूर लिया जाता है.

कर्ण महान धनुर्धर थे, सूर्य पुत्र होकर भी उन्हें हर जगह खुद को साबित करना पड़ा. कई चीजें ऐसी थी, जिसका वो हकदार भी थे, लेकिन उन्हें अपमान सहना पड़ा. 

कर्ण को आखिर क्यों इतनी समस्याओं का सामना करना पड़ा. इसका कारण उनका पिछले जन्म में राक्षस होना था.

इसी सतयुग के दुरदु्म्भ नामक एक राक्षस को वरदान था कि उसे कोई नहीं मार सकता, उसे केवल वही मार सकता है, जिसने सौ साल तक तप कर रखा हो.

राक्षस को सूर्य देव से कवच-कुंडल का वरदान भी प्राप्त था, जो भी उसका वो कवच तोड़ेगा उसकी मृत्यु हो जाएगी.

राक्षस के प्रकोप से परेशान होकर सब विष्णु जी के पास गए, उन्होनें सबको नर-नारायण के पास जाने को कह दिया.

नर-नारायण ने सबकी रक्षा का वादा किया, पहले नर ने राक्षस से लड़ाई की और उसका कवच तोड़ दिया और मारा गया.

नर के मरने पर अब लड़ाई करने नारायण उतरे. उन्होनें नर को तपस्या के फल से जिंदा कर दिया. नारायण ने दूसरा कवच तोड़ा. उन्हें नर ने तपस्या के फल से जीवित कर दिया.

जब नर-नारायण ने राक्षस के 99 बार कवच-कुंडल तोड़ दिए, तब राक्षस डरकर सूरज के पीछे छिप जाता है. सूर्य देव नर-नारायण से राक्षस की रक्षा करने की विनती करते हैं.

तब नारायण ने कहा ये अगले जन्म में आपकी रोशनी से द्वापर युग में जन्म लेगा.  तब भी इसके पास ये कवच-कुंडल होंगे, लेकिन जरूरत के समय काम नहीं आएंगे.

अगले जन्म में ये राक्षस ही कर्ण का रूप होता है, इसलिए कर्ण से युद्ध से पहले कवच-कुंडल ले लिए गए थे.