महाभारत में भीम क्यों जलाना चाहते थे युधिष्ठिर के हाथ
Kuldeep Panwar
महाभारत के युद्ध का कारण कौरवों का पांडवों को जुए में हराकर उनका राज्य छीन लेना माना जाता है, लेकिन इससे भी बड़ा एक कारण और था.
माना जाता है कि जुए में युधिष्ठिर द्वारा अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगाना और फिर उसे हार जाने के बाद कौरवों द्वारा उसका चीरहरण करना ही महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा कारण था.
द्रौपदी ने चीरहरण के बाद कौरवों के पूरे वंश के नष्ट होने का श्राप दिया था. साथ ही पांडवों ने भी इस अपमान का बदला लेने की कसम खाई थी.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दौरान कुछ ऐसा भी हुआ था कि भाइयों को बेहद प्यार करने वाले महाबली भीम अपने बड़े भाई युधिष्ठर पर इतना भड़क गए थे कि उनके हाथ जला देना चाहते थे.
दरअसल भीम द्रौपदी के अपमान के बाद इसे लेकर सबसे ज्यादा नाराज थे कि यह अपमान युधिष्ठिर द्वारा द्रौपदी को जुए में दांव पर लगाने के कारण हुआ है.
प्रचलित कथा के मुताबिक, भीम ने युधिष्ठिर से कहा कि जुए में हारे हुए धन पर मुझे क्रोध नहीं हैं, लेकिन द्रौपदी दांव पर लगाकर आप उसे भी हार गए, इस बात पर मैं बेहद क्रोधित हूं.
भीम ने आगे कहा, द्रौपदी का भरी सभा में अपमान करने में यदि कौरव सक्षम हुए हैं तो उसका कारण आप हैं. आपके कारण ही उसकी यह दशा हुई है.
भीम इतना क्रोध में आ गए कि उन्होंने युधिष्ठिर से कहा, द्रौपदी के इस अपमान करने का कारण बने आपके हाथों को मैं जला दूंगा.
मान्यता है कि भीम इतना गुस्से में आ गए कि वे युधिष्ठिर की तरफ बढ़ने लगे, लेकिन उनके बीच में अर्जुन आ गए और उन्हें समझाने लगे.
भीम ने सहदेव को युधिष्ठिर के हाथ जलाने के लिए अग्नि का प्रबंध करने का आदेश दिया, लेकिन अर्जुन ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.
अर्जुन भीम को समझाते हैं कि युधिष्ठिर ने जो किया वो क्षत्रिय धर्म के तहत किया, इस पर भीम शांत होकर कहते हैं कि मैं भी यह जानता हूं और इसी कारण चुप हूं, वरना मैं सच में हाथ जला देता.
मान्यता है कि इसके बाद ही भीम ने दुर्योधन की जांघ तोड़कर द्रौपदी के अपमान का बदला लेने की कसम खाई थी, जिस पर उसने द्रौपदी को बैठाने के लिए दुशासन से कहा था.