महाभारत का सबसे कलंकित योद्धा क्यों है आश्वात्थामा?
Abhishek Shukla
महाभारत के सबसे कलंकित योद्धाओं में आश्वत्थामा का नाम सबसे पहले आता है.
आश्वत्थामा के साथ उनके माथे का घाव भी अमर हो गया है. वह दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
महाभारत के मुताबिक वे आज भी जिंदा हैं, माथा मवाद से भरा है और दर-दर भटकते हैं.
अश्वत्थामा को भगवान कृष्ण से अमरता का अभिशाप मिला है.
महाभारत के अनुसार, वह कौरव-पांडवों का सबसे बड़ा अपराधी है.अश्वत्थामा से बड़ा अपराध किसी ने भी नहीं किया था
अश्वत्थामा पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था. पिता द्रोणाचार्य के वध का बदला लेने के लिए उसने द्रौपदी के पांच सो रहे पुत्रों को मार डाला था. अश्वत्थामा उन्हें पांडव समझ कर मार आया था.
उसने उत्तरा की कोख में पल रहे अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित पर भी ब्रह्मास्त्र चला दिया.
उसके इस कृत्य से कौरव भी खुश नहीं हुए थे. कौरव और पांडव एक ही कुल के थे. उन्हें भी दुख हुआ था
भगवान ने जब सुना तो उन्होंने अश्वत्थामा के माथे की मणि निकलवा ली.
भगवान ने उसे हमेशा भटकने भटकते रहने का श्राप दिया. उसके सिर से हमेशा मवाद बहता रहता है.
कहते हैं कि वे नर्मादा के जंगलों में आज भी भटकते हैं.