श्री रामचन्द्र ने लंका पर आक्रमण करने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था उनकी वानर सेना ने समुद्र पर पत्थर फेंककर ये सेतू बनाया था, लेकिन बाद में यह पुल समुद्र के पानी में क्यों डूब गया
राम जी ने नल और नील नाम के दो वानरों की मदद से समुद्र पर पुल बनाया. वाल्मिकी रामायण के अनुसार यह पुल पत्थरों से बनाया गया था, जो पानी पर तैरते थे,
राम सेतु का निर्माण ज्वालामुखीय झांवे से किया गया था. क्योंकि यह पत्थर पानी पर तैरता है. लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि समुद्र के कुछ फीट पानी में क्यों डूब गया ये पुल?
राम ने धनुषकोडी से श्रीलंका तक पुल का निर्माण किया था. इस पुल को नोला नाम के बंदर की देखरेख में सिर्फ पांच दिन में तैयार किया गया था.
वाल्मिकी द्वारा लिखित रामायण में कहा गया है कि इस पुल की लंबाई 100 योजन और चौड़ाई 10 योजन थी.
1993 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक सैटेलाइट से ली गई तस्वीर जारी की थी. जिससे कि भारत में धनुषकोंडी और श्रीलंका में पम्बन के बीच 48 किमी चौड़ा भूमि क्षेत्र समुद्र में कुछ फीट गहरा दिखाई दिया था.
दावा है कि ये ज़मीन असल में राम सेतु है. पुरातत्वविदों के शोध के बाद यह बताया गया है कि राम सेतु के पत्थर 7000 साल पुराने हैं और जिस रेत में ये पत्थर रखे गए हैं वह 4000 साल पुराना है.
चट्टानों और रेत की उम्र में यह असमानता साबित करती है कि समुद्र के नीचे की चट्टानें प्राकृतिक रूप से नहीं बनी हैं और 1480 में एक विनाशकारी चक्रवात में पुल आंशिक रूप से ढह गया.
कंबन रामायण के अनुसार विभीषण के अनुरोध पर राम जी ने रामसेतु को समुद्र में कुछ फीट गहराई तक ढाह दिया था.