Oct 29, 2024, 11:21 PM IST
दिवाली से पहले उल्लू की डिमांड क्यों बढ़ जाती है?
Meena Prajapati
दिवाली आते ही उल्लुओं की डिमांड बढ़ जाती है. उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है.
ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन उल्लू की बलि देने से लक्ष्मी मां हमेशा के लिए घर में बस जाती हैं.
तंत्र-मंत्र करने वालों को लगता है कि उल्लू की बलि चढ़ाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी. इस तरह, दिवाली पर उल्लू अंधविश्वास का शिकार हो जाते हैं.
कई जगहों पर उल्लू की आंख का काजल लगाने की भी प्रथा प्रचलित है.
ज्यादातर उल्लू काले जादू और वशीकरण के चक्कर में मारे जाते हैं.
यही वजह है कि दीपावली पर उल्लुओं की तस्करी और डिमांड बढ़ जाती है.
दुनियाभर में उल्लओं की 250 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से 50 प्रजातियों के उल्लू विलुप्त होने की कगार पर हैं.
भारत में 36 प्रजाति के उल्लू हैं और ये सभी प्रजातियां फिलहाल खतरे में हैं.
उल्लुओं को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 के संरक्षित पक्षी घोषित किया गया है. उल्लुओं की बलि पर सजा का प्रावधान भी है.
Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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