Nov 17, 2023, 12:54 PM IST

श्रीकृष्ण तभी क्यों पहुंचे जब द्रौपदी ने उन्हें चीरहरण रोकने के लिए पुकारा था?

Ritu Singh

द्रौपदी का चीरहरण  जब दुशासन उन्हें खींच का ले जा रहा था तभी भगवान श्रीकृष्ण चाहते तो रोक सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

जब द्रौपदी ने ये कृष्ण से चीरहरण के बाद पूछा था कि वह चाहते तो पांडवों को जुआ खेलने से रोक सकते थे और उनका चीरहरण नहीं होता तब  तब भगवान ने जो जवाब दिया वह आंखें खोलने वाला था.

उद्धव भागवत में द्रौपदी और भगवान कृष्ण का संवाद है और द्रौपदी को भगवान कृष्ण कहते हैं कि 

पांडव दुर्भाग्यवश उनसे छुपकर चौसर खेल रहे थे. वह चाहते तो जिस तरह दुर्योधन ने मामा शकुनि को अपना पासा फेंकने के लिए चुना था पांडव उन्हें पासा फेंकने की पेशकश कर सकते थे लेकिन..

कृष्ण का कहना था कि पांडव चाहते थे कि वह उस सभाकक्ष में तब तक न आएं जब तक उन्हें बुलाया न जाए.

कृष्ण ने कहा कि द्रौपदी तुम भी तब तक वो अपने सामर्थ्य अनुसार संघर्ष करती रहीं लेकिन मुझे तब पुकारा जब तुम हार गई. कृष्ण ने तब उधव से पूछा था कि उद्धव बताओ अब मेरी क्या गलती है?

कृष्ण ने कहा कि हर एक का जीवन उसके कर्मफल पर निर्भर करता है. वह इसे  न चलाते हैं न इसमें हस्ताक्षेप करते हैं. वह बस साक्षी हैं. यही ईश्वर का धर्म है.

अगर वाकई कोई उनमें विश्वास रखेंगा और मान लेगा कि वह उसके करीब हैं तो वह कभी कुछ गलत कर ही नहीं पाएगा.