Jul 3, 2024, 02:29 PM IST
मंदिरों में क्यों रखी जाती थीं देवदासियां
Ritu Singh
भारत में एक समय ऐसी प्रथा थी जिसमें बिन ब्याही लड़कियों को मंदिर को दान किया जाता था.
ये देवदासियां अपना पूरा जीवन देवता को समर्पित कर देती थीं. बाहरी दुनिया से इनका कोई नाता नहीं होता था.
हालांकि बहुत पहले ही इस कन्यादान पर कानूनी रोक लग चुकी है, लेकिन ये परंपरा थी क्यों, चलिए जानें.
इस प्रथा के अंतर्गत देवी/देवताओं को प्रसन्न करने के लिए सेवक के रूप में युवा लड़कियों को मंदिरों में समर्पित करना होता है.
माता-पिता अपनी बेटी का विवाह देवता या मंदिर के साथ करते थे और ऐसा तब होता था जब कोई मुराद पूरी होती थी.
देवदासियों के लिए कोई तय उम्र नहीं है. पांच साल की लड़की भी देवदासी बन सकती है और दस साल की भी.
देवदासी प्रथा की शुरुआत संभवत: छठी सदी में हुई थी. पद्मापुराण में भी देवदासियों का जिक्र मिलता है.
देवदासियों की स्थिति बहुत मजबूत हुआ करती थी और समाज में उनका सम्मान था.
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