Jan 13, 2024, 10:33 PM IST

राम की अयोध्या की माटी क्यों पूजता है दक्षिण कोरिया?

Kuldeep Panwar

भगवान राम की अयोध्या नगरी पर इस समय सबकी निगाहें लगी हुई हैं. 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का इंतजार दक्षिण कोरिया के लोग भी कर रहे हैं.

आपको बता दें कि भगवान राम की जन्मभूमि से दक्षिण कोरिया का खास नाता है. इस नाते के कारण दक्षिण कोरिया के बहुत सारे लोग खुद को राम की अयोध्या का वंशज मानते हैं.

दक्षिण कोरिया के लोग खुद को अयोध्या की एक राजकुमारी का वंशज मानते हैं और हर साल उसे श्रद्धांजलि देने के लिए अयोध्या आकर यहां की माटी चूमते हैं और माथा टेकते हैं.

राम की धरती की यह राजकुमारी थीं प्रिंसेस सूरीरत्ना, जिसे क्वीन हू ह्वांह-ओक के नाम से जाना जाता है. अयोध्या की इस राजकुमारी ने 48 AD में कोरिया जाकर कराक वंश के राजा किम सूरो से शादी की थी.

पौरोणिक कोरियन ग्रंथ Samguk Yusa में राजा सूरो की पत्नी को Ayuta नाम के दूरस्थ राज्य की राजकुमारी बताया गया है, जिसे वहां के लोग मौजूदा समय का पवित्र शहर अयोध्या मानते हैं.

अयोध्या शहर में साल 2001 में दक्षिण कोरिया की Queen Huh Hwang-ok का मेमोरियल भी स्थापित किया गया था, जहां मत्था टेकने के लिए दक्षिण कोरिया लोग आते हैं.

यूपी टूरिज्म की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, कोरिया की कराक जाति के 60 लाख लोग अयोध्या को अपने पुरखों का घर और खुद को यहां का वंशज मानते हैं.

साल 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने दक्षिण कोरिया की इस महारानी की याद में 25 रुपये और 5 रुपये के दो पोस्टेज स्टैंप भी जारी किए थे.

यूपी सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, राजकुमारी सूरीरत्ना ने अयोध्या से कोरिया तक का सफर महज 16 साल की उम्र में नाव के जरिये तय किया था.

BBC के मुताबिक, कुछ चीनी भाषा के पौरोणिक लेखों में भी  सूरीरत्ना के अयोध्या से कोरिया जाने का जिक्र है. मान्यता है कि वे King Suro of Geumgwan Gaya की पटरानी बनी थीं. 

इन लेखों के मुताबिक, अयोध्या के राजा को भगवान ने सपने में अपनी 16 साल की बेटी को नाव से कोरिया भेजने का आदेश दिया था और कहा था कि उसकी शादी राजा किम सूरो से होगी.

कुछ लेखों में दावा किया गया है कि किंग सूरो और क्वीन हू ह्वांग-ओक के 10 बेटे थे. किंग और क्वीन 150 साल से ज्यादा समय तक जिंदा रहे थे और राजकाज किया था.

साल 2020 में भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत Shin Bong-kil ने भी कोरिया की प्राचीन इतिहास की किताब के हवाले से अयोध्या की राजकुमारी का विवाह कोरिया के राजा से होने का दावा सही ठहराया था.

Shin Bong-kil ने कहा था कि राजा किम सूरो के मकबरे की आर्कियोलॉजिकल जांच में भी वहां अयोध्या से जुड़ी हुई कलाकृतियां मिली थीं, जो उनकी शादी अयोध्या की राजकुमारी से होने के दावे की पुष्टि करती हैं.