Oct 2, 2024, 03:11 PM IST

क्या है लेबनान का धार्मिक समूह 'द्रूस'

Aditya Prakash

'द्रूस' एकेश्वरवादी समुदाय है.

द्रूस लोगों की मान्यताओं में अब्राहमिक धर्मों, ग्नोस्टिसिज्म, नवप्लेटोवाद, पाइथागोरसवाद जैसे दर्शनों से मेल खाते हैं.

ये लोग खुद को 'अह्ल अल-तौहीद' कहते हैं.

इनकी आबादी करीब 10 लाख से 25 लाख के बीच है. 'गुह्य' इनके सबसे पवित्र धर्मशास्त्र का नाम है.

द्रूस लोगों का मानना है कि ईश्वर के 70 अवतार हैं, और आगे भविष्य में अब कोई अवतार नहीं होगा.

इनका मानना है कि अल-हाकिम-बी अमरिल्लाह भगवान के अवतार थे. ये लोग पुनर्जन्म में यकीन करते हैं.

इस पंथ की उत्पत्ति शिया इस्लाम की एक शाखा 'इस्माइलिज्म' से हुई थी, साथ ही इस पर ईसाई धर्म का अच्छा खासा प्रभाव रहा है. 

ये तबका लेबनान, सीरिया, इजराइल और जॉर्डन में पाया जाता है.

ज्यादातर 'द्रूस' धार्मिक प्रथाओं को गुप्त रखा जाता है. ये लोग अपने पंथ के बाहर शादी नहीं करते हैं.