Jul 5, 2024, 06:28 AM IST

महाभारत के दुर्योधन से टैक्स वसूलती है ये सरकार

Kuldeep Panwar

महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा कारण दुर्योधन को माना जाता है, जिसने हस्तिनापुर की गद्दी हथियाने के लिए पांडवों के साथ हर तरह का छल किया था.

महाभारत में धर्म-अधर्म की लड़ाई में दुनिया के करोड़ों योद्धा मारे गए थे. युद्ध के 18वें दिन दुर्योधन की मौत के साथ ही युद्ध खत्म हुआ था. 

करोड़ों योद्धाओं की मौत का कारण बनने के चलते दुर्योधन को सभी लोग विलेन मानते हैं, लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां उन्हें हीरो माना जाता है.

केरल के कोल्लम में सबसे बड़े कौरव भाई दुर्योधन को महज हीरो ही नहीं माना जाता, बल्कि विशाल मंदिर बनाकर उनकी पूजा भी होती है.

कोल्लम में मलानाडा मंदिर के नाम से मशहूर दुर्योधन के मंदिर से राज्य सरकार टैक्स वसूलती है, जो दुर्योधन के नाम से ही जमा कराया जाता है.

देश के इस एकमात्र दुर्योधन मंदिर में स्थानीय लोगों की बेहद आस्था भी है, जहां दुर्योधन को ग्रामीण प्यार से 'अपूपा' (दादाजी) कहते हैं.

हालांकि पोरुवाझी पेरुविरुथी मलानाडा नाम के इस मंदिर में मूर्ति नहीं बल्कि एक गदा की पूजा होती है, जो दुर्योधन की गदा मानी जाती है.

दुर्योधन के इस मंदिर में फल-लड्डू का भोग नहीं लगाया जाता, बल्कि उसकी जगह उन्हें ताड़ी (ताड़ से बनने वाली शराब) का भोग लगता है.

मान्यता है कि दुर्योधन मंदिर में ताड़ी का भोग लगाने से वो प्रसन्न हो जाते हैं और उस स्थिति में कुछ भी मांगने पर सभी मन्नतें पूरी होती हैं.

दुर्योधन को स्थानीय ग्रामीण अपना ग्राम देवता मानते हैं और उनकी पूजा गांव के रक्षक व दयालु देवता के तौर पर ही की जाती है.

इस मंदिर के पास 15 एकड़ जमीन है, जिसमें से 8 एकड़ पर धान की खेती होती है. इस खेती का टैक्स दुर्योधन के नाम से जमा होता है.

दरअसल जमीन का सरकारी पट्टा देवता यानी दुर्योधन के नाम ही रजिस्टर्ड है. इस कारण सरकारी टैक्स डिमांड उनके ही नाम से बनती है.

हस्तिनापुर से हजारों किलोमीटर दूर दुर्योधन की पूजा क्यों होती है? यदि आप ये सोच रहे हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं.

मान्यता है कि एक बार दुर्योधन यहां आए थे. प्यास लगने पर उन्हें पानी नहीं मिला. तब एक दलित महिला ने उन्हें ताड़ी पिलाकर प्यास बुझाई थी.

क्षत्रिय राजकुमार को दलित महिला अपनी छुई ताड़ी देने में झिझक रही थी, लेकिन दुर्योधन ने उसकी ताड़ी पी और फिर आशीर्वाद भी दिया.

दुर्योधन ने महिला के गांव को जमीन दान में देते हुए रक्षा का वचन लिया था. मान्यता है कि तभी दुर्योधन का मंदिर बनाकर उनकी पूजा शुरू हुई थी.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. DNA Hindi इसकी पुष्टि नहीं करता है.