Apr 6, 2024, 09:18 PM IST

किनकी हैं गुजरात में मिलीं 500 कब्र?

Kuldeep Panwar

गुजरात में तब सनसनी फैल गई, जब खुदाई में अचानक बड़े पैमाने पर कंकाल ही कंकाल निकलने लगे? क्या था इन कंकालों का राज?

यह मामला गुजरात के कच्छ जिले के जूना खटिया गांव में केरल यूनिवर्सिटी व कच्छ यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों की खुदाई में सामने आया था.

खुदाई के दौरान करीब 500 से ज्यादा कब्रों वाला कब्रिस्तान सामने आया, जिसमें कुछ आंशिक और कुछ पूरी तरह सुरक्षित कंकाल मिले हैं.

हर तरफ यही चर्चा शुरू हो गई कि ये कब्रें किसकी हैं? क्या यहां किसी नरसंहार में इन लोगों को मारकर एकसाथ दफनाया गया था या कुछ और मामला है?

अब पुरातत्वविदों को इसका जवाब मिल गया है. जूना खटिया में पडता-बेट नामक टीले की खुदाई में 5,200 साल पुरानी बस्ती के संकेत मिले हैं.

Indian Express के मुताबिक, खुदाई में मिले कंकाल, मिट्टी के बर्तन, जानवरों की हड्डियों से अंदाजा लगा है कि यहां हड़प्पाकालीन सभ्यता की बस्ती थी.

इस टीले से करीब 1.5 किलोमीटर दूर वह सामूहिक कब्रिस्तान मौजूद है, जिसकी जानकारी साल 2018-19 में खुदाई के दौरान मिली थी.

केरल यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर राजेश एसवी का कहना है कि जूना खटिया का कब्रिस्तान पडता-बेट टीले की बस्ती का ही होने का अनुमान है.

राजेश एसवी इस रिसर्च प्रोजेक्ट के को-डायरेक्टर भी हैं, उनका अनुमान है कि जूना खटिया कब्रिस्तान पडता-बेट टीले जैसी कई बस्तियों से जुड़ा था.

करीब 4 हेक्टेयर इलाके में खुदाई में मिली चीजों से यहां 3200 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व तक हड़प्पाकालीन सभ्यता की बस्तियां होने के संकेत मिले हैं.

राजेश के मुताबिक, यहां मिले कुछ बर्तन हड़प्पाकालीन सभ्यता से अलग तरह के हैं, जो शायद इस इलाके की अपनी एक खास पहचान हो सकती है.

पडता-बेट टीले की खुदाई का नेतृत्व कर रहे केरल यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग हेड प्रोफेसर अभयन जीएस इस खोज को बेहद खास मानते हैं.

अभयन का कहना है कि अब तक हड़प्पाकालीन बस्तियां समतल मैदानी इलाकों में ही मिली हैं. पहली बार कोई बस्ती किसी पहाड़ी पर पाई गई है.

अभयन के मुताबिक, अपनी तरह की पहली हड़प्पाकालीन बस्ती होने के कारण यहां मिली चीजों से हमें काफी अलग तरह की जानकारी मिल सकती है.

इस रिसर्च में भारत से केरल, गुजरात के अलावा पुणे और विदेशों से स्पेन और अमेरिका के कई इंस्टीट्यूट के लोग भी मदद कर रहे हैं.