Jan 7, 2024, 08:25 PM IST

किस देश की राष्ट्रीय मिठाई है जलेबी

Kuldeep Panwar

जलेबी एक ऐसी मिठाई है, जिसका स्वाद अमीर से गरीब तक, हर कोई बड़े चाव से लेता है. जम्मू-कश्मीर से तमिलनाडु तक, देश के हर हिस्से में जलेबी खाने वाले मिल जाएंगे.

जलेबी सादी बनाकर रसगुल्ले की तरह चाशनी में डुबोई जाती है. इसके अंदर भरा रस ही इसे अन्य मिठाइयों से अलग और स्वाद में बेहद खास बनाता है, जिसका दीवाना हर कोई हो जाता है. 

जलेबी के शौकीन देश के हर हिस्से में पाए जाने के कारण बहुत सारे लोग इसे भारत की राष्ट्रीय मिठाई भी कहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में यह भारतीय मिठाई नहीं है.

जलेबी भारत में कौन लाया था, इससे पहले हम आपको बता दें कि जलेबी आपको पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के साथ ही अरब मुल्कों से लेकर यूरोपीय देश स्पेन तक में भी खूब दिखेगी.

अब आपको बताते हैं जलेबी की कहानी. दरअसल जलेबी शब्द हिंदी, उर्दू या अन्य भारतीय भाषा से नहीं बल्कि अरबी और फारसी का हिस्सा है.

अरबी भाषा में इसे जलाबिया और फारसी में जौलबिया कहते हैं. माना जाता है कि जलेबी की खोज ईरान में हुई थी, जहां ये रमजान में इफ्तार के लिए और नोवारूज (फारसी नववर्ष) के मौके पर खाई जाती थी.

जलेबी का सबसे पहला जिक्र 10वीं सदी की किताबों में मिलता है, लेकिन इसकी असली जानकारी 13वीं सदी में मुहम्मद बिन हसन अल-बगदादी की किताब अल-तबीख में मिलती है.

अल-बगदादी की किताब में उस समय प्रचलित उन सभी मशहूर व्यंजनों का जिक्र किया गया है, जो बगदाद के खलीफा को परोसे जाते थे. इनमें जौलबिया (जलेबी) भी शामिल है.

माना जाता है कि भारत में यह मिठाई यहां  अरबी, फारसी और तुर्की व्यापारी लेकर आए थे. हालांकि कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में जलेबी को भारत में भी 'जल-वल्लिका' या 'कुंडलिका' नाम से बनाए जाने का जिक्र मिलता है.

मुगलों के दौर में 15वीं सदी में अरबी-फारसी को बढ़ावा दिया गया तो वहां से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ी, तब यह पहले जौलबिया या जलाबिया कही गई और फिर धीरे-धीरे बदलकर जलेबी कहलाने लगी.

भारत में भी जलेबी के कई नाम हैं. उत्तर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में यह जलेबी है तो महाराष्ट्र में जिलबी, बंगाल में इसे जिलपी कहते हैं. कुछ जगह इसे मुशबक या जुल्बिया भी कहते हैं.

15वीं सदी के जैन लेखक जिनासुर द्वारा लिखित ग्रंथ, प्रियमकर्णपकथा में भी जलेबी का जिक्र है. इसमें बताया गया है कि कैसे जलेबी धनी व्यापारियों की सभाओं में लोकप्रिय थी.

17वीं सदी के एक संस्कृत पाठ, गुण्यगुणबोधिनी में जलेबी मिठाई बनाने की सामग्री और विधि दी गई है, जो इसके मौजूदा स्वरूप जैसी ही है.

इसके बावजूद जिस एक बात पर ज्यादातर पुराने विद्वान सहमत हैं, वो ये है कि जलेबी मूल रूप से ईरान की मिठाई है. बाद में यह अन्य देशों में गई और वहां अपने-अपने हिसाब से इसे बदला गया.