जिस तरह इंटरनेट वर्ल्ड में ब्लैक वेब को काले कारनामे करने वालों की दुनिया माना जाता है. उसी तरह काला जादू को भी तंत्र-मंत्र की काली दुनिया कहा जाता है.
काला जादू को मारक तंत्र-मंत्र भी माना जाता है. इस पर बैन भी है. फिर भी देश में कुछ जगह ऐसी हैं, जहां आज भी काला जादू किया जाता है और दूर-दूर से लोग इसके जरिये अपने बिगड़ते काम बनाने के लिए आते हैं.
काले जादू की दुनिया में सबसे ज्यादा मशहूर है असम का मायोंग गांव. इस गांव में रहने वाले लोगों की कई पीढ़ियां लगातार काला जादू करती चली आ रही हैं. यह गांव काले जादू के अभ्यास के लिए आज भी मशहूर है.
मायोंग गांव के काला जादू से लोगों के गायब होने, मरने या जानवर बन जाने के किस्से मशहूर हैं. कहा जाता है कि यहां का काला जादू इतना मारक है कि मुगल सेना के जनरल और अंग्रेज अफसर भी यहां आने से घबराते थे.
ओडिशा में कुशाभद्रा नदी के तट पर भी काले जादू का साम्राज्य माना जाता है. नदी के किनारे हड्डियां-खोपड़ियां ऐसे बिखरी पाई जाती हैं, मानो नदी के पत्थर बिखरे हैं. ये सब काले जादू की क्रियाओं में इस्तेमाल हुई हैं.
केरल का त्रिशूर भी काले जादू के लिए मशहूर है. यहां कुट्टी चट्टान को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, जिस पर तांत्रिक पुजारी गुप्त मंत्रों से पूजा कर लोगों की परेशानी कथित तौर पर दूर करता है.
वाराणसी के सभी श्मशान घाट काले जादू के लिए मशहूर हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा मणिकर्णिका घाट की होती है, जहां दिन में भी आपको अघोरी घूमते हुए दिख जाएंगे.
कोलकाता के निमतला घाट पर भी खूब काला जादू होता है. यह जगह भी श्मशान घाट है, जहां अघोरी रात में साधना करते हैं. अघोर साधना के कारण ही इस जगह रात में नहीं आने की परंपरा भी है.
हैदराबाद का सुल्तानशाही इलाका भी काले जादू के अभ्यास के लिए चर्चित है. हालांकि यहां अब ढोंगी बाबा ज्यादा बस गए हैं. इस कारण यहां कई तरह के विवाद भी हो चुके हैं.
उत्तराखंड का जौनसार इलाका भी काले जादू के लिए बेहद मशहूर है. यहां भगवान शिव भी महासू देव रूप में पूजे जाते हैं, जिनका सीधा संबंध तंत्र-मंत्र से है.