महाभारत में किसकी सेना में था भगवान राम का ये वंशज
Kuldeep Panwar
महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था, लेकिन इसमें पूरी दुनिया के राज्य शामिल थे. कुछ पांडवों की तरफ से लड़ रहे थे, तो कुछ दुर्योधन के बुलावे पर कौरव सेना का हिस्सा बने थे.
कुरुक्षेत्र में हुए इस भयानक युद्ध में इतनी बड़ी संख्या में सेनाएं मौजूद थीं कि कहा जाता है रोजाना एक लाख से ज्यादा सैनिकों की युद्धभूमि में मौत होती थी.
पांडव धोखे से जुए में छीने गए अपने राजपाट को वापस पाने के लिए लड़ रहे थे, इसलिए उनके पक्ष को धर्म मार्ग कहा गया था, जबकि दुर्योधन के खेमे को अधर्मी कहा गया था.
दुर्योधन का गुट यानी कौरव सेना अधर्मी होने के बावजूद ज्यादातर बड़े राज्य उनकी ही तरफ से लड़ रहे थे. इनमें भगवान श्रीराम के वंशज भी शामिल थे.
दरअसल कौरव सेना की तरफ से युद्ध लड़ने के लिए तत्कालीन अयोध्या राज्य के राजा बृहद्वल या बृहदबाला भी कुरुक्षेत्र में अपनी सेना लेकर पहुंचे थे.
बृहद्वल भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की 32वीं पीढ़ी में जन्मे थे. उनके बारे में मौजूद जानकारी के मुताबिक, वे बेहद वीर और धर्म की राह पर चलने वाले राजा थे.
आप सोच रहे होंगे कि धर्म के मार्ग पर चलने वाला राजा होने के बावजूद बृहद्वल कुरुक्षेत्र में दुर्योधन के अधर्मी खेमे की तरफ से लड़ने के लिए क्यों आए थे?
बृहद्वल के महाभारत में कौरवों का साथ देने का कारण महाबली भीम थे, जिन्होंने युधिष्ठर के इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ के दौरान बृहद्वल को हराकर उनसे अयोध्या का राज छीना था.
अपना साम्राज्य छिनने के कारण बृहद्वल पांडवों से बेहद नाराज थे. दुर्योधन ने महाभारत के युद्ध में जीतने पर उनका अयोध्या राज्य वापस देने का वादा किया था.
हालांकि कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने बृहद्वल को बाद में समझाया था. इसके चलते वे कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में तो मौजूद रहे, लेकिन पूरी शक्ति से युद्ध नहीं लड़ा था.