May 17, 2024, 06:53 PM IST

इस जगह आज भी रहते हैं 'पांडवों के वंशज', महाभारत काल से कर रहे हैं ये काम

Utkarsha Srivastava

भारत में एक ऐसी जगह है, जहां आज भी पांडवों के वंशज रहते हैं. ये लोग महाभारत काल से जुड़ी एक परंपरा आज भी निभाते हैं.

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले स्थित एक गांव के लोग खुद को पांडवों का वंशज कहते हैं. इन लोगों से कई दिलचस्प कहानियां जुड़ी है.

बैतूल जिले में खुद को पांडवों का वंशज बताने वाले ये लोग रज्झड़ समुदाय के हैं और वो महाभारत काल से जुड़ी एक परंपरा आज भी निभाते हैं.

ये परंपरा यतानाओं से भरी होती है, जिसमें रज्झड़ समुदाय के लोग हर साल कांटों की सेज तैयार करते हैं और इस पर लेटते हैं.

ये सेज, बेर की कांटों से भरी सूखी टहनियों से बनाया जाता है और इस पर रज्झड़ समुदाय के लोग गाजे-बाजे के साथ झूमते हुए लोटपोट होते हैं.

ये परंपरा महाभारत काल की एक कहानी से जुड़ी है, जिसमें नाहल जाति के एक शख्स ने भूख-प्यास से व्याकुल पांडवों को पानी देने के बदले उनकी मुंहबोली बहन से शादी करने की इच्छा जाहिर की थी.

पांडवों ने नाहल की शर्त मान कर अपनी एक मुंहबोली बहन भोंडई के साथ नाहल का विवाह तय कर दिया था. नाहल को पांडवों के वादे पर शक हुआ तो पांडवों ने कांटों की सेज पर लेट कर खुद को साबित किया था.

इसी किस्से को रज्झड़ समुदाय हर साल जीते हैं. वो खुद को पांडवों का वंशज मानते हैं. इसलिए ये लोग हर साल पांडवों की तरह कांटों की सेज पर लेटते हैं.