भारत में शराब के ब्रांड बेचे जाते हैं. इस देश में एक ऐसी शराब भी मिलती है, जिसकी खुशबू के चलते इसे पीने वाले खींचे चले आते हैं.
वैसे तो शराब आपकी शरीर के लिए बेहद हानिकारक है लेकिन हम आपको एक ऐसी शराब के इतिहास के बारे में बताएंगे. जिसे जानकार आप हैरान रह जाएंगे.
इस शराब का नाम है ‘महारानी महनसर शाही गुलाब’ है. मगर राजस्थान में ये ‘बाप-दादा की शराब’ के नाम से ज्यादा मशहूर है.
इस शराब का सेवन राजा महाराजा किया करते थे. राजा-महाराजा अपने शौक को पूरा करने के लिए 18वीं अलग-अलग शराब बनवाते थे.
शेखावटी इलाके के महनसर राजघराने के राजा करणी सिंह भी इनमें से एक थे. इन्होंने कई जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से इस शराब को तैयार करवाया.
1768 में महनसर के किले का निर्माण हुआ था, वहां पर लोग इसी शराब को पीते थे, मगर तब इसे ‘रजवाड़ी दारू’ कहा जाता था.
यह शराब गुलाब की ताजा पंखुड़ियों, ड्राई फ्रूट्स, विभिन्न मशालों के 150 से ज्यादा सिक्रेट रेसिपी के डिस्टलाइजेशन की लंबी प्रक्रिया से तैयार किया जाता है. गुलाब इसलिए क्योंकि शराब गुलाब की ताजा पंखुड़ियों से बनती है और इसका रंग भी गुलाबी होता है.
आजादी के बाद भारत सरकार ने इन हेरिटेज शराब को बैन कर दिया था. 1998 में राजस्थान सरकार हेरिटेज शराब बिल को दोबारा लेकर आई ताकि भारत के ऐतिहासिक शराब निर्माण की सीक्रेट को बचाया जा सके. जिसके बाद से रिटेज शराब दोबारा से ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सप्लाई होने लगी.