छत्रपति शिवाजी का 'स्वराज' पूरी जिंदगी मुगल बादशाह औरंगजेब के गले की फांस बना रहा. औरंगजेब दिल्ली छोड़कर शिवाजी को हराने के लिए दक्षिण भारत आ गया, लेकिन जीत नहीं सका.
शिवाजी के 1680 में निधन के बाद औरंगजेब को मौका लगा और उसने दक्षिण भारत में घुसकर सारे राज्य जीतने शुरू कर दिए. औरंगजेब अगले 25 साल अपने निधन तक फिर दक्षिण भारत में ही रहा.
शिवाजी के निधन के बाद संभाजी मराठा छत्रपति बने, लेकिन वे ज्यादा दिन सत्ता नहीं संभाल सके. छत्रपति संभाजी 1689 में कैद करने के बाद मार दिए गए.
शिवाजी के दूसरे बेटे राजाराम इसके बाद 19 साल की उम्र में मराठा छत्रपति बने, लेकिन औरंगजेब ने तब तक एक-एक कर मराठों के किले जीतने शुरू कर दिए थे.
छत्रपति राजाराम ने रायगढ़ से निकलकर दक्षिण भारत में मराठा राज्य की सीमा पर जिंजी किले में जाने का निर्णय लिया. रास्ते में वे कर्नाटक में समुद्र तट पर बसे छोटे से राज्य केलाडी पहुंच गए.
राजाराम लिंगायत तीर्थयात्री का वेष बदलकर केलाडी में 1671 से राज कर रही लिंगायत रानी चेनम्मा के दरबार में भिक्षु के रूप में पहुंचे और उन्हें अपनी पहचान बताकर शरण मांगी.
चेनम्मा को उनके मंत्रियों ने राजाराम को शरण नहीं देने की सलाह दी, लेकिन रानी चेनम्मा ने शिवाजी की तरफ से 1675 में मिले राज्य की रक्षा के वचन की बात कहकर मंत्रियों की सलाह ठुकरा दी.
रानी ने शरण में आए की रक्षा करने को ही राजधर्म बताकर राजाराम को शरण दी. इसके बाद उन्होंने अपने बेटे बासप्पा के साथ सेना भेजकर राजाराम को सुरक्षित जिंजी किले तक पहुंचा दिया.
औरंगजेब ने रानी चेनम्मा से राजाराम को शरण देने का बदला लेने की ठानी और जाननिसार खान को सेना के साथ केलाडी पर हमला करने भेज दिया.
मुगल सेना केलाडी के घने जंगलों में मानसूनी बारिश के कारण फंस गई. रानी चेनम्मा ने शिवाजी के ही गुरिल्ला युद्ध के तरीके से धावा बोला और मुगल सेना को बड़े पैमाने पर खत्म कर दिया.
औरंगजेब ने अपनी आत्मकथा में रानी चेनम्मा को 'जंगली भालू' कहकर सराहा है. राजाराम के जिंजी पहुंच जाने पर औरंगजेब ने केलाडी से सेना वापस बुला ली.
रानी चेनम्मा का करीब 25 साल तक केलाडी पर राज करने के बाद 1696 में निधन हो गया, लेकिन उनका शिवाजी के बेटे के लिए मुगलों को चुनौती देना इतिहास में दर्ज हो गया.
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