Jun 1, 2024, 02:01 PM IST
दिल्ली के इतिहास की बात हो और पुरानी दिल्ली के लोहे के पुल की बात न हो ऐसा कभी हो सकता है.
लोहे का पुल अपने आप में एक अजूबा है, जिसका इतिहास करीब 150 साल से भी ज्यादा पुराना है.
850 मीटर लंबे इस पुल के निर्माण का काम साल 1863 में शुरू किया गया था जो 1866 में समाप्त हुआ.
पुल बनने से ठीक 5 साल पहले मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को गिरफ्त में लेकर उसे रंगून भेज दिया गया था.
पुल को ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी द्वारा बनाया गया था, जिसकी लागत उस समय करीब 16 लाख रुपये आई थी.
दिल्ली को कोलकाता से जोड़ने के लिए इस पुल का निर्माण किया गया था.
इससे पहले कोलकाता से दिल्ली आने के लिए लोगों को नावों से नदी पार कराया जाता था.
पहले इस पुल पर केवल एक ही लाइन मौजूद थी, लेकिन साल 1913 में इसे डबल लाइन में बदल दिया गया.
इस समय इसके रखरखाव की जिम्मेदारी उत्तरी रेलवे के पास है जिसको आधिकारिक तौर पर इसका मालिक कहा जा सकता है.