Nov 10, 2023, 03:39 PM IST

गंगा पुत्र देवव्रत को कहा जाने लगा भीष्म पितामह

Kavita Mishra

भीष्म पितामह का जन्म शांतनु और गंगा के मिलन से हुआ था.

बताया जाता है कि शांतनु और गंगा दोनों ही पिछले जन्म में स्वर्गलोक में थे और एक दूसरे को जानते थे.

इंद्र की आज्ञा की वजह से ही उन्हें पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा था. फिर पृथ्वी पर गंगा के घाट पर मिलने पर उन्होंने शादी का फैसला किया.

जब भीष्म का जन्म हुआ तो उनकी माता गंगा उन्हें अपने साथ लेकर स्वर्गलोक लौट गईं. गंगा ने अपने इस पुत्र का नाम देवव्रत रखा था.

देवव्रत के जन्म के बाद गंगा को शाप से मुक्ति मिल गई थी लेकिन राजा शांतनु को अभी पृथ्वी पर ही रहना था. 

गंगा के जाने के बाद राजा शांतनु ने दूसरा विवाह नहीं किया बल्कि गंगा और अपने पुत्र के लौटने की प्रतीक्षा करते रहे. 

16 साल बाद एक दिन गंगा प्रकट हुईं और उनके साथ राजकुमार देवव्रत भी थे. देवव्रत को उनके पिता शांतनु को सौंपकर गंगा फिर से स्वर्गलोक को लौट गईं.

सत्यवती और राजा शांतनु की विवाह को लेकर जब देवव्रत ने कहा था कि मैं इस राज्य की कमान अपने हाथ में नहीं लूंगा. 

भीष्म ने प्रतिज्ञा की कि वह आजीवन कुंवारे ही रहेंगे और न उनकी संतान होगी. जब राजा शांतनु को अपने पुत्र की इस प्रतिज्ञा के बारे में पता चला तो वह बहुत व्यथित हुए. इस भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही उन्होंने अपने बेटे को भीष्म कहा.