हैदराबाद की बिरयानी, मेरठ की गजक, अमृतसरी नान आदि सुनकर जान लिया होगा कि कुछ भारतीय शहर अपनी खास डिश के लिए मशहूर हैं.
ऐसे ही एक शहर की शराब भी फेमस है. जी हां, भारत भले ही शराब बनाने के लिए मशहूर देशों में नहीं गिना जाता, लेकिन यह शहर Wine Capital of India कहलाता है.
यह शहर है महाराष्ट्र में गोदावरी नदी किनारे मौजूद नासिक, जिसे अंगूर के जबरदस्त उत्पादन के लिए 'भारत की नापा घाटी' भी कहा जाता है.
नासिक भारत का हिंदू तीर्थस्थल है, जहां हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है, लेकिन भारतीय वाइन का 90% उत्पादन भी यहीं होता है.
गर्म उष्मकटिबंधीय जलवायु में होने से भारत के आधे से ज्यादा अंगूर के बाग नासिक में ही स्थित है, जहां करीब 52 वाइनरी काम कर रही हैं.
नासिक में करीब 73,000 हेक्टेयर इलाके में अंगूर की खेती होती है, जिनमें करीब 3,200 हेक्टेयर में वाइन वाले अंगूर का उत्पादन किया जाता है.
नासिक घाटी की मिट्टी में रेड लैटराइट पाया जाता है, जिसमें मिट्टी से अतिरिक्त पानी की निकासी करना का गुण होता है.
नासिक घाटी में अंगूर की खेती के लिए पर्याप्त पानी भी उपलब्ध है. इन्हीं सब खासियतों के चलते यहां अंगूर का उत्पादन भरपूर मात्रा में होता है.
नासिक जिला गजेटियर के मुताबिक, यहां अंगूर की खेती आजादी से पहले से होती रही है, लेकिन पहली बार इससे वाइन बनाने की कोशिश 1987 में हुई थी.
1987 में माधवराव मोरे ने फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स हरबॉल्ट एंड फिल्स एपेरनेरी फ्रांस के सहयोग से पिम्पेन को-ऑपरेटिव लिमिटेड स्थापित की थी.
इस सहकारी वाइनरी ने 2003 तक काम किया था. साल 1996 में स्टैनफोर्ड से पढ़कर लौटे राजीव सामंत ने यहां अंगूर की इंपोर्टेड किस्में लगाईं.
1997 में कैलिफोर्निया के सबसे बड़े वाइन उत्पादक इलाके सोनोमा वैली के वाइन निर्माता केरी डैमस्की का, जिन्होंने नासिक में वाइन उत्पादन में एक्सपर्ट हेल्प दी.
साल 2000 में यहां 'सुला' वाइन पहली बार मार्केट में आई, जिसने इंटरनेशनल मार्केट तक पहचान बनाई है. इसके बाद नासिक में किसान वाइन उत्पादन से जुड़ते जा रहे हैं.